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आडवाणी की आखिरी इच्‍छा सुन पाकिस्‍तान रोएगा खून के आंसू!

नई दिल्ली। बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी इन दिनों कम ही दिखाई देते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आडवाणी समेत कुछ नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया गया था। उसके बाद से उनकी सियासी सक्रियता कम हो गई है। आडवाणी को बीजेपी में शिखर पुरुष कहा जाता है। दशकों का सियासी अनुभव है उनके पास। विरोधी भी उनका सम्मान करते हैं। फिलहाल मुद्दे की बात ये है कि ने हाल ही में अपनी एक अधूरी इच्छा जाहिर की है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक कार्टक्रम में आडवाणी ने अपने मन की बात की। आडवाणी को सिंध की कमी लगातार खलती है। सिंध जो पाकिस्तान में है। उसी को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने अपने मन की बात कही है।

लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा है कि उन्हे सिंध के बिना हिंदुस्तान अधूरा लगता है। एक कार्यक्रम के दौरान आडवाणी ने कहा कि कराची और सिंध के बिना भारत अधूरा लगता है। उन्हे इस बात का दुख है कि कराची और सिंध भारत का हिस्सा नहीं हैं। बता दें कि आडवाणी का जन्म एक सिंधी परिवार में हुआ था। बीजेपी नेता ने कहा कि कभी-कभी उन्हे महसूस होता है कि कराची और सिंध भारत का हिस्सा नहीं रहे। उन्होंने याद करते हुए कहा कि बचपन के दिनों में सिंध में संघ काफी ज्यादा सक्रिय था। अपने भाषण के दौरान आडवाणी ने कहा कि मेरा मानना है कि सिंध के बिना भारत अधूरा है। वहीं आडवाणी ने ये भी कहा कि संघ में महिलाओं को ज्यादा संख्या में शामिल करना चाहिए।

गौरतलब है कि लाल कृष्ण आडवाणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा कोई संगठन नहीं देखा है जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से महिलाएं करती हैं। ये अपने आप में हैरान करने वाला है। आडवाणी ने कहा कि जो भी उनसे मिलने आता है वो उसे संगठन का पालन करने के लिए कहते हैं। आडवाणी हाल के दिनों में कम ही दिखाई देते हैं। उनके बारे में कहा जा रहा है कि उनकी तबीयत भी अब कुछ ठीक नहीं रहती है। बीच में ये अफवाह भी उड़ी थी कि आडवाणी को भूलने की बीमारी हो गई है। फिलहाल इस कार्यक्रम के दौरान आडवाणी ने साफ कर दिया कि वो ठीक हैं। उन्हे कोई भूलने की बीमारी नहीं हैं। बता दें कि आडवाणी को बीजेपी में मोदी विरोधी खेमे का माना जाता है।

2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आडवाणी खुद पीएम कैंडिडेट बनना चाहते थे। नरेंद्र मोदी को पीएम कैंडिडेट बनाए जाने के बाद आडवाणी ने विरोध भी जताया था। उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीपा भी दे दिया था। फिलहाल अब इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हे देश का अगला राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है। जिसके बाद राष्ट्रपति की गद्दी पर लाल कृष्ण आडवाणी को बिठाया जा सकता है। हालांकि जानकार मानते हैं कि राष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान बीजेपी अपने दम पर राष्ट्रपति का चुनाव नहीं कर पाएगी। उसके पास जरूरी संख्याबल फिलहाल नहीं है। कयास तो इस बात के भी हैं कि आडवाणी खुद चाहते हैं कि उन्हे राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकित किया जाए।