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अलग रहते हुए भी घरेलू हिंसा का केस कर सकती है पत्नी: हाई कोर्ट

relationshipमुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर पत्नी और पति अलग-अलग रह रहे हैं तो भी पत्नी अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज कर सकती है। स्पेशल डोमेस्टिक वायलेंस लॉ के तहत किसी भी समय एकसाथ रहना ही काफी है।
कोर्ट नाशिक निवासी प्रकाश पाटिल के मामले की सुनवाई कर रहा था। प्रकाश और उसके परिवार ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत दर्ज एक केस को चुनौती दी थी। यह केस प्रकाश से अलग रह रहीं उनकी पत्नी सीमा ने किया था। सीमा का कहना था कि वह और प्रकाश 2002 में शादी होने के बाद कुछ समय तक साथ रहे हैं।

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस शालिनी जोशी ने कहा, ‘डीवी ऐक्ट में सारे प्रावधान इतने साफ हैं कि उनकी व्याख्या करने की जरूरत नहीं है। इसमें साफ लिखा है कि केस करने के लिए किसी भी समय में पति-पत्नी का साथ रहना जरूरी है, न कि केस दर्ज करते समय।’ इस टिप्पणी के साथ ही हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और सीमा को घर में रहने की अनुमति दी।

पाटिल और सीमा ने 2002 में शादी की थी। और उनका 11 साल का एक बेटा भी है, जो मां के साथ रहता है। सीमा ने शादी के कुछ महीनों में ही घर छोड़ दिया था। 2003 में सीमा ने रख-रखाव के खर्च के लिए केस किया और 2006 में दोनों पक्षों में समझौता हो गया और दोनों फिर से साथ रहने लगे। कुछ महीने बाद ही सीमा अलग रहने लगी और अपने ससुराल वालों पर घरेलू हिंसा का केस किया। 2009 में पाटिल और उसके परिजनों को क्रिमिनल कोर्ट ने राहत दे दी थी। एक साल बाद 2010 में सीमा घरेलू हिंसा का केस दर्ज करने के लिए कोर्ट पहुंची। 2014 में कोर्ट ने पाटिल को हिंसा से रोकते हुए सीमा और उसके बेटे को घर में रहने की इजाजत दी। पाटिल ने इसी फैसले के खिलाफ अपील की थी।

(पति-पत्नी के नाम बदले हुए हैं)