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अरुणाचल में प्रेसिडेंट रूल, कांग्रेस ने गवर्नर को बताया बीजेपी का एजेंट

tukiनई दिल्ली। मोदी सरकार की सिफारिश पर अरुणाचल प्रदेश में प्रेसिडेंट रूल लागू हो गया है। इसके पहले रविवार को नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई कैबिनेट मीटिंग में इस पर चर्चा हुई थी। सरकार के इस फैसले का कांग्रेस और आप ने कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस ने इसके खिलाफ कोर्ट जाने की बात कही है। उनका एक डेलिगेशन राष्ट्रपति से भी मिलेगा। मुख्यमंत्री नबाम टुकी आज सोनिया और राहुल से मिलेंगे।
अरुणाचल में क्यों लगा प्रेसिडेंट रूल…
– अरुणाचल प्रदेश में पिछले कई दिनों से राजनीतिक उठापटक चल रही है। कांग्रेस सरकार 42 में से 21 विधायक बागी हो गए हैं।
– 16-17 दिसंबर को सीएम नबाम टुकी के कुछ विधायकों ने बीजेपी के साथ नो कॉन्फिडेंस मोशन पेश किया और सरकार की हार हुई।
– सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सरकार असेंबली भंग करने के मूड में नहीं थी और जोड़-तोड़ की तमाम कोशिशें करने में लगी हुई थी।
किसने क्या कहा?
– कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सरकार के फैसले को पॉलिटिकल इन्टॉलरेंस बताया। सिब्बल ने इसके खिलाफ कोर्ट जाने की बात कही।
– कांग्रेस नेता नारायण सामी ने कहा, ”राजभवन बीजेपी हेडक्वार्टर बन गया है और गवर्नर बीजेपी एजेंट की तरह काम कर रहे हैं।”
– सेंट्रल मिनिस्टर किरण रिजिजू गवर्नर रूल को सही बताते हुए कहा है कि अरुणाचल प्रदेश में सियासी हालात बिगड़ चुके हैं और प्रदेश की जनता लंबे समय से इसे झेल रही थी।
– दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘संविधान की हत्या’ करार दिया है। उन्होंने कहा, ”बीजेपी इलेक्शन हार गई तो अब पिछले दरवाजे से सत्ता हथियाने की कोशिश कर रही है।”
– बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अरुणाचल प्रदेश में प्रेसिडेंट रूल की निंदा की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट की कांस्टीट्यूशनल बैंच के पास है।
क्या है असेंबली का गणित?
– अरुणाचल असेंबली में कुल 60 सीटें हैं। 2014 में हुए इलेक्शन में कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं।
– बीजेपी के 11 और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (PPA) को पांच सीटें मिलीं।
– पीपीए के 5 एमएलए कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसके बाद सरकार के पास कुल 47 एमएलए हो गए।
– लेकिन मौजूदा हालात में सीएम टुकी के पास सिर्फ 26 विधायकों का ही सपोर्ट है।
– सरकार बचाने के लिए कांग्रेस को कम से कम 31 विधायकों का सपोर्ट चाहिए।
कांग्रेस ने गवर्नर को बताया बीजेपी का एजेंट
– पिछले साल दिसंबर में गहराए सियासी संकट के दौरान टुकी ने गवर्नर ज्योति प्रसाद राजखोवा को बीजेपी एजेंट बताया था।
– टुकी ने आरोप लगाया कि उन्होंने ही राज्य में सरकार गिराने के लिए कांग्रेस के विधायकों को साथ मिलाकर बगावत कराई।
– 14 जनवरी को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असेंबली के दिसंबर में बुलाए दो दिन के सेशन को ही रद्द कर दिया।
– जिसमें सरकार के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस और स्पीकर के खिलाफ इम्पीचमेंट (महाभियोग) मोशन लाया गया था।
– टुकी सरकार ने असेंबली को सील करा दिया। इसके बाद पार्टी के बागी विधायकों ने मीटिंग बुलाकर कैलिखो पॉल को नेता चुन लिया था।