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अरुणाचल कांग्रेस में फिर बड़ी बगावत, सीएम समेत 44 विधायक एनडीए के फ्रंट में शामिल

premaईटानगर। अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है. 46 एमएलए के साथ मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पार्टी को छोड़ दिया है. 60 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 46 विधायक हैं, जबकि 11 विधायक बीजेपी के हैं.

पीपीए का दामन थामा
अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के 46 में से 43 विधायकों ने पीपीए का दामन थामा है. एक बार फिर से कांग्रेस पर संकट खड़ा हो गया है. बागियों में अरुणाचल के मुख्यमंत्री के अलावा दिवंगत दोरजी खांडू के बेटे और वर्तमान में राज्य के सीएम पेमा खांडू भी हैं. खांडू ने कहा, ‘मैंने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात करके उन्हें यह सूचना दी है कि हमने कांग्रेस का पीपीए में विलय कर दिया है. राज्य में कांग्रेस के 46 विधायक हैं जिनमें से 43 इस पार्टी में शामिल हो गए हैं. पीपीए का गठन 1979 में हुआ था. यह 10 क्षेत्रीय दलों के नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस का हिस्सा रहा है जिसका गठन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मई 2016 में की थी. वर्तमान में असम में बीजेपी के नेता हेमंता विश्व सरमा इसके प्रमुख हैं

जुलाई में खांडू को मिली थी कमान
कांग्रेस का अरुणाचल का संकट काफी पुराना है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नाटकीय घटनाक्रम के बाद जुलाई में नबाम तुकी के स्थान पर पेमा खांडू को मुख्यमंत्री घोषित करके एक लंबी चली लड़ाई को जीता था. खांडू के विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद दो निर्दलीयों और 45 पार्टी विधायकों के समर्थन से कांग्रेस ने एक बार फिर सरकार बना ली थी. तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद बागी नेता खालिको पुल अपने 30 साथी बागी विधायकों के साथ पार्टी में लौट आए थे. पुल बागी होकर मुख्यमंत्री बने थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अपदस्थ कर दिया था.

60 सदस्यीय अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के 46 विधायक थे जबकि बीजेपी के 11. अब 43 विधायकों के पीपीए में चले जाने के बाद कांग्रेस में पूर्व सीएम नबम तुकी और इक्का-दुक्का विधायक ही बचे रह गए हैं. हाल में पूर्व सीएम कलिखो पुल का निधन हो गया था. फरवरी 2016 में उन्होंने 24 कांग्रेसी विधायकों के साथ पीपीए ज्वाइन किया था.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था जिसमें अदालत ने कलिखो पुल सरकार को असंवैधानिक घोषित कर पूर्व की कांग्रेस सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था. इसके बाद पेमा खांडू के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी. ताजा घटनाक्रम के बाद एक बार फिर बाजी बीजेपी के हाथ जाते दिख रही है.