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अमेरिका चुनाव: ट्रंप का वार, हिलरी ने दिया नौकरी चुराने वाले ‘भारतीयों’ का साथ

hillary-and-trumpवॉशिंगटन। अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में दोनों प्रमुख उम्मीदवारों डॉनल्ड ट्रम्प और हिलरी क्लिंटन के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। खास बात यह है कि इन आरोपों में भारत और भारतीय कंपनियों को भी घसीटा जा रहा है। सोमवार को न्यू यॉर्क की हॉफ्स्ट्रा यूनिवर्सिटी में प्रेजिडेंशल डिबेट के दौरान जब पहली बार यह दोनों नेता आमने-सामने होंगे तो अप्रत्यक्ष तौर पर ही सही, भारत से जुड़े कुछ मुद्दे भी उठाए जाएंगे। मजाकिया अंदाज में कहा भी जा रहा है कि ‘पंजाब के सेनेटर’ का सामना ‘रूस की कठपुतली और पुतिन के दोस्त’ से होगा।

दोनों पक्ष अमेरिका के प्रति एक दूसरे की निष्ठा को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए एक दूसरे पर तीखे हमले कर रहे हैं। पुलिस और अश्वेतों में चल रहे टकराव के बीच अमेरिका में कई हिस्सों में नस्लीय तनाव की स्थिति बनी हुई है। हालांकि राष्ट्रपति चुनाव के जमीनी राजनीतिक मुद्दों से भारत का कोई लेना देना नहीं है लेकिन आउटसोर्सिंग के मसले की वजह से भारतीय कंपनियों को भी इसमें घसीटा जा रहा है। दोनों पक्ष एक दूसरे पर अमेरिका की नौकरियां दूसरे देशों में आउटसोर्स करने में मदद करने का आरोप लगा रहे हैं।

‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ के नारे के साथ ट्रम्प खेमे ने इस सप्ताह हिलरी क्लिंटन से जुड़े कुछ पुराने मुद्दे उठाए और कुछ ऐसी क्लिप्स दिखाईं जिनमें हिलरी खुद को मजाकिया अंदाज में ‘पंजाब का सेनेटर’ बता रही हैं। ट्रम्प के नए प्रचार प्रमुख एंड्र्यू ब्रीटबार्ट द्वारा संचालित बेवसाइट पर इससे जुड़ी एक घटना का जिक्र किया गया है। कई साल पहले एक जाने माने इंडो-अमेरिकन रजवंत सिंह द्वारा आयोजित फंडरेजर में क्लिंटन ने कहा था, ‘मैं पंजाब में भी सेनेट की सीट आराम से जीत सकती हूं।’

रजवंत ने भी ‘ना सिर्फ न्यू यॉर्क की बल्कि पंजाब की भी सेनेटर’ कहते हुए ही हिलरी का परिचय कराया था। यह पहली बार नहीं था जब हिलरी ने मजाक में ऐसा कहा बल्कि पहले भी वह 2005 में एक सिख जागरूकता कार्यक्रम में ऐसा कह चुकी थीं। इसके बाद उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन भी मिला था। ट्रंप खेमा इसे हिलरी को आउटसोर्सिंग का समर्थक बताने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।

हालांकि खुद हिलरी यह बात कह चुकी हैं कि आउटसोर्सिंग से अमेरिकी अर्थव्यवस्था का भला भी हो सकता है, नौकरियां आ सकती हैं। जैसा कि न्यू यॉर्क में टाटा कंपनी के काम की वजह से हुआ। खास बात यह है कि हिलरी के कई ऐसे कॉर्पोरेट्स के साथ संबंध रहे हैं जिन्हें अमेरिकी वर्कर लेबर प्रैक्टिसेज के खिलाफ माना जाता है। जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और HCL। दोनों ही कंपनियों ने हिलरी को चुनाव प्रचार के लिए पैसा भी दान में दिया है। वहीं क्लिंटन खेमा भी पीछे नहीं है। वह भी ट्रम्प पर अमेरिका के बजाय विदेशों में कारोबार करने का आरोप लगा रहा है।