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अमिताभ बच्‍चन के दिमाग में कुछ भी नहीं: मार्कंडेय काटजू

katjuनई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने एक बार फिर ऐसी बात कही है जिस पर विवाद हो सकता है। इस बार उनके निशाने पर कोई और नहीं बल्कि सुपरस्‍टार बिग बी यानी अमिताभ बच्‍चन हैं। जस्टिस काटजू ने अमिताभ बच्‍चन को ऐसा शख्‍स बताया है जिसके दिमाग में कुछ भी नहीं है (संभवत: दिमाग खाली है के अर्थ में)।

दरअसल, काटजू ने शनिवार को फेसबुक पर एक पोस्‍ट किया जिसमें उन्‍होंने बिग बी को निशाने पर लिया। काटजू ने लिखा, ‘अमिताभ बच्‍चन एक ऐसे शख्‍स हैं जिनके दिमाग में कुछ भी नहीं है और चूंकि ज्‍यादातर मीडियाकर्मी उनकी तारीफ करते हैं, मुझे संदेह है कि उनके दिमाग में भी शायद ही कुछ है।’ काटजू के इस पोस्‍ट को 4700 से ज्‍यादा लोगों ने लाइक किया और करीब 250 लोगों ने इसे शेयर किया। कुछ यूजर्स ने काटजू से ऐसा कहने के पीछे वजह पूछी। इस पर काटजू ने एक और पोस्‍ट लिखा जिसमें उन्‍होंने बिग बी के बारे में ऐसा कहने की वजह बताई।

उन्‍होंने लिखा, ‘जब मैं कहता हूं कि अमिताभ बच्‍चन के दिमाग में कुछ भी नहीं है तो कई लोग विस्‍तार से इस बारे में बताने को कहते हैं। इसलिए मैं यह पोस्‍ट लिख रहा हूं। कार्ल मार्क्‍स ने कहा था कि धर्म जनसमुदाय के लिए अफीम की तरह है जिसका इस्‍तेमाल शासक वर्ग लोगों को शांत रखने के लिए ड्रग्‍स की तरह करता है ताकि वे विद्रोह नहीं कर सकें। हालांकि, भारतीय जनसमुदाय को शांत रखने के लिए कई तरह के ड्रग्‍स हैं। धर्म इनमें से एक है। इसके अलावा फिल्‍म्‍स, मीडिया, क्रिकेट, बाबा आदि हैं।

इनमें से एक शक्तिशाली ड्रग्‍स है फिल्‍म। रोमन शासक कहा करते थे, ‘अगर आप लोगों को रोटी नहीं दे सकते तो उन्‍हें सर्कस दिखा दीजिए।’ हमारी ज्‍यादातर फिल्‍में सर्कस की तरह होती हैं जो हमारे शासक आम जनता को मुहैया कराते हैं क्‍योंकि वे लोगों को रोटी, रोजगार, अच्‍छी शिक्षा, भोजन आदि नहीं दे सकते।

देव आनंद, शम्‍मी कपूर, राजेश खन्‍ना की तरह अमिताभ बच्‍चन की फिल्‍में ड्रग्‍स की तरह हैं जो लोगों को भरोसा करने वाले संसार में ले जाती हैं। इस हिसाब से ये फिल्‍में हमारे शासकों के लिए काफी उपयोगी हैं क्‍योंकि वे लोगों को शांत रखने का काम करती हैं। एक बढ़‍िया ऐक्‍टर के अलावा अमिताभ बच्‍चन में और क्‍या है? क्‍या देश की व्‍यापक समस्‍याओं को सुलझाने के लिए उनके पास कोई वैज्ञानिक आइडिया है? कोई नहीं है। वक्‍त-बेवक्‍त वह किसी चैनल पर आते हैं और उपदेश और प्रवचन देते हैं। कई बार उन्‍हें बढ़‍िया काम करते हुए दिखाया जाता है लेकिन अपार संपत्ति हो तो ऐसा कौन नहीं कर सकता?’