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अमर सिंह का नाम राज्यसभा भेजने पर मुलायम सिंह पर उनके भाई रामगोपाल और केबिनेट मंत्री आज़म खान बुरी तरह से नाराज

amar-mulayamwww.puriduniya.com लखनऊ। अमर सिंह का नाम राज्यसभा भेजे जाने पर समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह पर उनके भाई रामगोपाल और उनकी पार्टी के केबिनेट मंत्री आज़म खान बुरी तरह से नाराज हो गए. इतना ही पार्टी मुखिया मुलायम की अध्यक्षता में 5 कलिदासमार्ग पर आयोजित इस बैठक में जबरदस्त विरोध के बाद अमर का नाम फ़ाइनल किया जा सका. बताया जाता है कि जहां मुलायम के भाई राम गोपाल और आज़म ने अमर का विरोध किया वहीँ शिवपाल और पार्टी मुखिया ने उनके नाम पर अपनी मुहर लगा दी. इसके अलावा 6 अन्य नामों को भी राज्यसभा भेजे जाने कि बैठक में पार्टी मुखिया ने अपनी मुहर लगा दी है.

राज्यसभा में 11 में से 7 सीटें सपा की 
इन नामों में अमर सिंह के अलावा बेनी प्रसाद वर्मा, रेवती रमण सिंह, संजय सेठ , सुखराम सिंह, विशम्भरनाथ सिंह और भगवती सिंह शामिल है. बताया जाता है कि राज्यसभा की चार जुलाई को खाली हो रही 11 सीटों में सपा की 7 सीटें है. इन खाली हो रही सीटों पर अपने उम्मीदवारों का नाम फ़ाइनल करने को लेकर पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को कालिदास मार्ग पर सुबह साढ़े 11 बजे से बैठक का आयोजन किया गया. करीब तीन घंटे तक चली इस बैठक में राज्यसभा भेजे जाने वालों का नाम फ़ाइनल करने के लिए बारी – बारी से एक -एक नामों पर पार्टी नेताओं के साथ विचार विमर्श किया गया. इसके बाद मुलायम ने उन नामों पर अंतिम मुहर लगाई. जिस पर पार्टी के नेताओं की रजामंदी थी.
अमर के नाम का हुआ विरोध 

लेकिन जैसे ही मुलायम सिंह ने अपने पुराने मित्र अमर सिंह के नाम का प्रस्ताव सबके सामने रखा. उनके अपने भाई राम गोपाल ने ही उनसे खफा हो गए. इतना ही नहीं पार्टी के दिग्गज नेता को आज़म खान को भी एक सहारा मिल गया और वह भी अमर के विरोध में खड़े हो गए. बैठक में मौजूद जानकारों की मानें तो इसके बाद अमर के नाम को लेकर दोनों ही नेताओं ने बहस बजी शुरू कर दी. जिसके चलते इन दोनों ही नेताओं को शांत कराना मुश्किल हो गया. बताया जाता है की शिवपाल और मुलायम खेमा अमर के पक्ष में था. इसलिए बाद में दोनों को किसी  तरह समझा-बुझाकर मुलायम और शिवपाल ने शांत कराया. हालाँकि शिवपाल ने इस बाबत एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर इस विरोध का खंडन किया है. उधर कई दिग्गजों के नाम राज्यसभा न भेजे जाने से सपा खेमें में अंदरूनी कलह मच गई।