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अप्रैल की शुरुआत में होगी कैबिनेट की बैठक- किसानो का कर्ज होगा माफ़ व युवाओ को मिलेगा लैपटॉप साथ ही बुंदेलखंड के किसानों को मिलेगी बड़ी सौगात

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक जीत के बाद सत्ता में आई भाजपा के सामने घोषणा पत्र के वादों को पूरा कर पाना बड़ी चुनौती है। हालांकि, योगी सरकार ने किसानों की कर्जमाफी और युवाओं को लैपटॉप देने जैसी योजनाओं पर तेजी से अमल लाने का प्रयास शुरू कर दिया है। अप्रैल की शुरुआत में होनी वाली कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण योजनाओं को हरी झंडी मिल सकती है। इसे लेकर तेजी से मंथन चल रहा है। प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने कर्जमाफी व पैसे के इंतजाम के लिए अफसरों के साथ कई प्रस्तावों पर मंथन किया, तो यूपी के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने लैपटॉप वितरण को लेकर माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभाग संग संयुक्त बैठक की।
वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि यूपी सरकार चुनावी घोषणा पत्र में किसानों से किए वादों को पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। वहीं, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा, कृषि विभाग भी जल्द ही मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप देगा। उन्होंने कहा, प्रदेश सरकार सीमांत एवं लघु किसानों के कर्जमाफी को लेकर लोककल्याण संकल्प में किए गए वादे को पूरा करने के लिए कृतसंकल्प है। इसके अलावा यूपी सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को भी पूरी तरह लागू करने पर जोर दे रही है।
भाजपा सरकार बुंदेलखंड के किसानों को सौ फीसदी कर्जमाफी की योजना पर काम कर रही है, जबकि दूसरे रीजन में किसानों की जरूरत के हिसाब से कर्जमाफी की बात चल रही है। एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने कहा, पिछले कई वर्षों से बुंदेलखंड के किसानों ने खराब मौसम के चलते काफी दिक्कतों का सामना किया है। भाजपा सरकार उनकी मदद के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में यूपी में 2.3 करोड़ किसान हैं, जिनमें 2.15 करोड़ लघु और सीमांत किसान हैं। इससे पहले शनिवार को वित्त मंत्री ने कहा था, कर्जमाफी के तहत सबसे पहले बुंदेलखंड को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। यहां के किसानों का हर प्रकार का कर्ज माफ किया जा सकता है, लेकिन अभी अंतिम तौर पर कुछ भी तय नहीं किया गया है।
वित्त मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, 2.3 करोड़ किसानों का पूरा कर्जमाफ करने के लिए राज्य सरकार पर 60 हजार करोड़ का आर्थिक भार पड़ेगा। जबकि सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद से प्रदेश पर पहले से ही 25 हजार करोड़ का अतिरिक्त खर्च का बोझ है।
किसानों के कर्जमाफी पर भारी-भरकम रकम की खपत को देखते हुए राज्य सरकार केंद्र सरकार से मदद लेने की तैयारी में है। हालांकि, एफआरबीएफ एक्ट के तहत हर वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार के कर्ज लेने की सीमा निर्धारित है। राज्य सरकार को केंद्र से मिले कर्ज की धनराशि का प्रयोग राज्य के विकास कार्यों में करना होता है।
घोषणा पत्र के मुताबिक, राज्य सरकार यूपी में पढ़ रहे 22-23 लाख युवाओं को एक जीबी डेटा और लैपटॉप देने की तैयारी में है। इसे लेकर उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभाग की संयुक्त बैठक हो चुकी है। बैठक में इस बात पर सहमति बन चुकी है कि यूपी से बाहर उच्च शिक्षा ले रहे युवाओं को लैपटॉप नहीं दिया जाएगा। इस योजना पर कई हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। आईटी व इलेक्ट्रॉनिक विभाग ने एक जीबी डेटा और लैपटॉप की कीमत औसतन 15 हजार रुपए आंकी है।
भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया है। सरकार बनते ही गरीब परिवार में बेटी के जन्म पर 50 का विकास बॉन्ड भरा जाएगा। इसमें कक्षा छह में पहुंचने पर तीन हजार, आठ में पहुंचने पर पांच हजार, दस में पहुंचने पर सात हजार और 12 में पहुंचने पर 8 हजार रुपये देने की बात कही है। बेटी के 21 वर्ष होने पर दो लाख रुपये देने का वादा है। इसके अलावा सरकार बेटी के जन्म के समय सरकार 5000 पांच हजार रुपए की मदद करेगी। यह रकम भी बजट पर बोझ बढ़ाएगी।
उत्तर प्रदेश में इन चारों मुद्दों से बड़ा है बेरोजगारी का मुद्दा। यहां एक चपरासी की भर्ती के लिए भी एमबीए और पीएचडी डिग्री धारक लाइन में खड़े हो जाते हैं। यूपी में रोजगार के नए अवसर पैदा करना और लोगों को नौकरी देना नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। हालांकि, भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया है कि 90 दिनों के भीतर राज्य सरकार के सभी रिक्त पदों के लिए भर्ती की पारदर्शी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अगले 5 वर्षों में 70 लाख रोजगार एवं स्व-रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जाएंगे।
योगी सरकार ने यूपी की बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर नकेल कसने के लिए शुरुआत से कमर कस ली है। लेकिन पूरी तरह से लॉ एंड ऑर्डर मेनटेन कर पाना इतना आसान नहीं होगा। एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) 2016 के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 4 सालों में उत्तर प्रदेश रेप, मर्डर, दंगे, किडनैपिंग और दहेज हत्या को लेकर भारत में नंबर वन बन गया। इस दौरान तकरीबन 93 लाख से ज्यादा क्राइम की घटनाएं हुई हैं।