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अखिलेश यादव की लिस्ट को मुलायम ने स्वीकार नहीं किया

mulayam-vs-akhilesh27लखनऊ। उत्तर प्रदेश में दोबारा सत्ता हासिल करने का ख्वाब देख रही समाजवादी पार्टी आपसी कलह से उबर नहीं पा रही है। ये कलह पार्टी की नहीं परिवार की है। वर्चस्व की जंग में अब परिवार के सदस्य परदे के पीछे से खेल रहे हैं। ऊपर से देखने पर समाजवादी पार्टी में सब कुछ ठीक दिखाई देता है। अखिलेश यादव अपना काम कर रहे हैं। शिवपाल यादव अपना काम कर रहे हैं। लेकिन ये काम वो है जिसके लिए जंग हुई थी। ये तूफान से पहले की खामोशी है। बात उम्मीदवारों की लिस्ट की है। अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह को उम्मीदवारों की लिस्ट दी थी। लेकिन उस पर मुलायम ने मुहर नहीं लगाई। जिसके बाद अब ये आलम है कि अखिलेश के वफादार बागी होने को तैयार हैं। अखिलेश के कई करीबी युवा नेता बागी हो कर चुनाव लड़ सकते हैं।

इन करीबियों में मेरठ के सरधना से समाजवादी उम्मीदवार रहे अतुल प्रधान ने इस बात का एलान भी कर दिया है। अतुल प्रधान ने कहा है कि झंडे का रंग मायने नहीं रखता है। हमारे नेता अखिलेश यादव ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि अगर टिकट नहीं मिला तो भी वो चुनाव लड़ेंगे। अतुल अकेले नहीं है। उनकी राह पर पार्टी के कई युवा नेता चल सकते हैं। अतुल खुद इशारा कर चुके हैं कि अखिलेश के कई करीबी चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश ने उम्मीदवारों की जो लिस्ट मुलायम सिंह को सौंपी थी उसमें ज्यादातर उनके चहेते नेता शामिल थे। कई खास सीटों पर अखिलेश ने अपने करीबियों को टिकट दिया है। फिलहाल मुलायम सिंह ने उस पर अपनी मुहर नहीं लगाई, जिसके कारण अब पार्टी में बगावत का संकट खड़ा हो रहा है।

साफ है कि समाजवादी पार्टी में अंदरखाने बहुत कुछ चल रहा है। एक तरफ शिवपाल यादव अपनी पसंद के नेताओं को टिकट दे रहे हैं। वहीं अखिलेश यादव कुछ कर नहीं पा रहे हैं. वो चाल तो चल रहे हैं कि लेकिन पिता से समर्थन नहीं मिल पा रहा है। इसी से ये भी साबित होता है कि मुलायम को शिवपाल पर अखिलेश से ज्यादा भरोसा है। ऐसे में इस बात की संभावना कम ही है कि शिवपाल और अखिलेश के बीच संबंध सामान्य होंगे। मुद्दा इस बात का है कि क्या अखिलेश की लिस्ट में से किसी को टिकट नहीं मिलेगा। अगर ऐसा होता है तो ये मुलायम के सामने बहुत बड़ी चुनौती की तरह होगा। उसके बाद उनके लिए समाजवादी पार्टी को एकजुट रख पाना मुश्किल होगा। जिस तरह अभी से अखिलेश समर्थक नेता बगावत के संकेत दे रहे हैं वो मुलायम के लिए चिंताजनक बात है।

बताया तो ये भी जा रहा है कि अखिलेश यादव अपने बेहद खास 31 युवा नेेताओं को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। 31 में से 18 नेताओं की उम्मीदवारी पर शिवपाल यादव भी राजी हैं। इसी बात के आधार पर अखिलेश के करीबी नेता कह रहे हैं कि इस बार चुनाव में मुख्यमंत्री के खास और करीबी नेता चुनाव जरूर लड़ेंगे। लेकिन मुद्दा फिर से वही है कि क्या चाचा शिवपाल इस बात के लिए तैयार होंगे। अगर ऐसा होता है तो ये संदेश जाएगा कि अखिलेश की हनक पार्टी में बरकरार है। वो शिवपाल से अपनी बात मनवा सकते हैं। दूसरी तरफ शिवपाल चाहते हैं कि कैंडिडेट के चयन में कोी दखलअंदाजी न हो। लिस्ट कोई भी दे आखिरी फैसला उन्ही का होना चाहिए। इन सबके बीच में रामगोपाल यादव भी हैं जो कह रहे हैं कि जिस की दावेदारी पर उनकी मुहर नहीं होगी वो पक्का नहीं माना जाएगा। ऐसे में मुलायम सिंह के सामने ऑप्शन क्या हैं।