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‘हम यहां पढ़ने आये हैं डॉक्टरी, हमारे प्रोफेसर हमसे करा रहे चाकरी, अब बर्दाश्त नहीं’

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) के यूरोलॉजी विभाग के रेजीडेंट डॉक्टर्स ने अपने विभाग के दो प्रोफेसरों पर घोर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। इन लोगों का कहना है कि बर्दाश्‍त करने की भी एक सीमा होती है, अब और बर्दाश्‍त नहीं होता है, हम लोग बर्दाश्‍त करते-करते अवसाद की दिशा में चल पड़े हैं, हमारी आपसे प्रार्थना है कि हमारी बातों पर गौर करते हुए हमें न्‍याय दें ताकि हमारा तो उत्‍पीड़न बंद हो ही, आगे आने वाले हम जैसे दूसरे लोगों को भी इस मानसिक कष्‍ट से न गुजरना पड़े।

कुलपति को दिये तीन पेज के लम्‍बे शिकायती पत्र में डेढ़ दर्जन जूनियर डॉक्‍टरों ने अपने साथ हो रहे अत्‍याचार के बारे में लिखा है कि यूरोलॉजी विभाग के दो फैकल्‍टी जिनके अधीन ये लोग कार्यरत हैं, इन जूनियर डॉक्‍टरों का घोर उत्‍पीड़न कर रहे हैं। इनका आरोप है कि अपने साथ हो रहे इस उत्‍पीड़न का विरोध करने पर परीक्षा में इन्‍हें फेल करने के साथ ही दूसरी प्रशासनिक गल्तियों में फंसाने के साथ ही जान से मारने की धमकी दी जाती है।

इन जूनियर डॉक्‍टरों ने आरोप लगाया है कि ड्यूटी के समय तथा ड्यूटी के बाद भी ये दोनों फैकल्‍टी हम लोगों से अपने निजी कार्य कराते हैं, यही नहीं इन निजी कार्यों को करने के लिए भाग-दौड़ करने के लिए जूनियर डॉक्‍टरों को अपने ही वाहन का इस्‍तेमाल करना पड़ता है। इन जूनियर डॉक्‍टरों का कहना है कि दोनों फैकल्‍टी अपने परिचित मरीजों को दूसरे विभागों में भर्ती करवाने आदि के लिए उन्‍हीं लोगों को दौड़ाते हैं।

जूनियर डॉक्‍टरों का आरोप है कि उन्‍हें अपने चैम्‍बर में बुलाकर डांटा जाता है। उन लोगों को अत्‍यंत भद्दी भाषा में डांटा जाता है। (पत्र में उन अपशब्‍दों का भी जिक्र किया है) यही नहीं उनकी ड्यूटी भी रोटेशन के अनुसार नहीं लगायी जाती है। यह भी आरोप लगाया है कि दोनों फैकल्‍टी अपने परिचित मरीजों, जिनसे इन्‍हें फायदा होता है या भविष्‍य में फायदा हो सकता है, के लिए नियम के विपरीत फ्री में दवायें लाने को कहते हैं, इसके लिए भले ही हमें अपनी जेब से लानी पड़े लेकिन उन्‍हें फ्री में उपलब्‍ध कराना हमारी जिम्‍मेदारी बता देते हैं जबकि इसके विपरीत गरीब मरीजों को डांट देते हैं।

इन जूनियर डॉक्‍टरों ने यह भी आरोप लगाया है कि पिछले दिनों इन दोनों में एक फैकल्‍टी के पिता यहां भर्ती हुए थे तो उनकी देखभाल के लिए हम लोगों की ड्यूटी लगा दी गयी थी, यही नहीं हमारा काम उनकी देखभाल के साथ सफाई करना, फ्री में दवा उपलब्‍ध कराना आदि था। यह सिलसिला 6 माह चला। जबकि इस दौरान एमसीएच सम्‍बन्‍धी हमारी पढ़ाई का भी बहुत नुकसान हुआ।

इन जूनियर डॉक्‍टरों का कहना है कि हम सभी लोग देश की विभिन्‍न जगहों से यहां आये हुए हैं और सम्‍मानित परिवारों से हैं। केजीएमयू आने से पहले भी करीब 10-10 सालों का चिकित्‍सा कार्य करने का हमें अनुभव हैं। हम लोग कई संस्‍थानों में रह चुके हैं लेकिन इस तरह का उत्‍पीड़न कहीं नहीं सहना पड़ा। इन जूनियर डॉक्‍टरों ने कहा है कि मानसिक उत्‍पीड़न इतना अधिक बढ़ गया है कि बर्दाश्‍त नहीं हो रहा है, इसलिए आपसे गुहार लगा रहे हैं। कुलपति को भेजे पत्र की प्रतिलिपि कुलाधिपति, मुख्‍यमंत्री, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ ही डीन, विभागाध्‍यक्ष को भी भेजी है। इस बारे में विभागाध्‍यक्ष यूरोलॉजी प्रो एसएन संखवार से बात हुई तो उन्‍होंने बताया कि शिकायत पर दोनों फैकल्‍टी से स्‍पष्‍टीकरण मांगा गया है।