नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की संस्था ‘आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन’ के 11 मार्च से यमुना किनारे शुरू होने वाले विवादित ‘विश्व सांस्कृतिक महोत्सव’ को लेकर एनजीटी ने जल संसाधन मंत्रालय और केंद्र सरकार से तीन बेहद तीखे सवाल पूछे। इस मामले पर एनजीटी में सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।
मंगलवार को मामले पर सुनवाई के दौरान एनजीटी ने जल संसाधन मंत्रालय और केंद्र सरकार से ‘विश्व सांस्कृतिक महोत्सव’ से यमुना पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर केंद्र सरकार से सवाल पूछे। मंत्रालय को इन सवालों के जवाब कल सुनवाई के दौरान देने होंगे।
जल संसाधन मंत्रालय से एनजीटी के तीन सवाल
एनजीटी ने जल संसाधन मंत्रालय से पूछा कि क्या इस कार्यक्रम से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर कोई अध्ययन किया गया है। एनजीटी ने कार्यक्रम के लिए यमुना पर प्रस्तावित पंटून पुल पर भी सरकार से सफाई मांगी। एनजीटी ने कहा कि क्या यमुना पर पुल बनाने की इजाजत दी गई थी। साथ ही सवाल किया कि क्या इस बात का ध्यान रखा गया कि यमुना की रक्षा कैसे की जाएगी।
श्री श्री रविशंकर की सफाई
उधर, श्री श्री रविशंकर ने इस पूरे मामले पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि डीडीए ने कोर्ट में कहा है कि उसने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है। श्री श्री रविशंकर ने कहा कि जहां तक उनकी जानकारी है, कार्यक्रम के लिए एक भी पेड़ नहीं काटा गया है। हमने केवल चार पेड़ों की छंटाई की है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के बाद इस जगह को एक खूबसूरत जैव विविधता वाले पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा।
दिल्ली विकास प्राधिकरण के साथ आर्ट ऑफ लिविंग संस्था राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के मुकदमे का सामना कर रही है। आरोप है कि यह कार्यक्रम पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन कर किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि एनजीटी का इसी हफ्ते फैसला आएगा। एक आकलन के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में यमुना के तट पर आयोजित होने वाले इस संगीतमय विशाल कार्यक्रम में करीब 35 लाख लोग हिस्सा लेंगे।