नई दिल्ली। नाबालिग़ का यौन शोषण और उसकी मां से गैंगरेप के आरोपी यूपी के मंत्री गायत्री प्रजापति पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. ऐसे में यूपी पुलिस को उनके विदेश भागने की आशंका है, जिसे देखते हुए यूपी पुलिस अब उनका पासपोर्ट निरस्त कराने में जुट गई है. एडीजी लॉ एंड ऑर्डर दलजीत सिंह ने एसएसपी को प्रजापति की हर गतिविधियों पर नज़र रखने के साथ-साथ पासपोर्ट दफ़्तर से संपर्क बनाए रखने का निर्देश दिया है. इस बीच गायत्री प्रजापति को मिली वाई कैटेगरी की सुरक्षा भी वापस ले ली गई है. इधर, पीड़ित नाबालिग़ ने दिल्ली के AIIMS में पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज कराया.
दरअसल गायत्री प्रजापति की गिरफ़्तारी होती है तो भी और नहीं भी होती है तो भी अखिलेश सरकार के लिए ये एक बड़ा सिरदर्द ज़रूर बन गई है, क्योंकि यूपी में दो चरणों की वोटिंग बाकी है ऐसे में विपक्ष के हाथ ये बड़ा मुद्दा ज़रूर है. वहीं आखिर गायत्री प्रजापति को इस बार टिकट देना अखिलेश की क्या कोई मजबूरी थी. इस मुद्दे पर वॉक द टॉक में अखिलेश यादव से वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने बात की.
अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी सरकार जांच में सहयोग कर रही है.मैं भी चाहती हूं कि सच्चाई सामने आए. कई बार कुछ परिस्थितियों में टिकट देना मजबूरी होता है. मैंने पार्टी को साफ सुथरा रखने की कोशिश की है.मैं तो यही कहूंगा कि वे सामने आएं और सच को सामने रखें.
उधर, यूपी पुलिस ने 16 साल की एक लड़की का एम्स में बयान दर्ज किया, जिसका यौन उत्पीड़न किया गया और उसकी मां से उत्तर प्रदेश के मंत्री गायत्री प्रजापति और उसके सहयोगियों ने कथित तौर पर कई बार सामूहिक बलात्कार किया था.
लड़की के परिवार और उनके वकील के विरोध के बावजूद उसका बयान दर्ज किया गया. वकील ने राज्य पुलिस पर धमकी देने और जबरदस्ती बयान दर्ज करने का आरोप लगाया है. लड़की को अस्पताल के एक प्रतिबंधित वार्ड में भर्ती किया गया है. पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) अमीता सिंह ने अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक से इजाजत लेने के बाद पीड़िता का बयान दर्ज किया. उन्होंने पीड़िता की मां से भी बात की.
डीएसपी ने बताया, मैंने नाबालिग लड़की का बयान दर्ज किया और यौन अपराध से बाल संरक्षण :पोक्सो: अधिनियम के नियमों के मुताबिक समूची प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की. उन्होंने बताया कि जब लड़की का बयान दर्ज किया जा रहा था तब उसकी मां उसके सामने बैठी थी. उसकी मां शिकायतकर्ता हैं.
लड़की के वकील महमूद प्राचा ने बयान दर्ज किए जाने का सख्त विरोध किया और जानना चाहा कि किस आधार पर यह किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि एम्स वार्ड के अंदर पुलिस ने लड़की और उसकी मां को धमकी दी. उन्होंने उनका मोबाइल फोन भी छीन लिया. लड़की अब तक सदमे में है.
प्राचा ने पूछा, उसका बयान दर्ज करने के लिए वे लोग बल प्रयोग कैसे कर सकते हैं. एम्स में दिल्ली पुलिस के कुछ अधिकारी भी मौजूद थे. उप्र पुलिस प्रजापति और उसके सहयोगियों के खिलाफ पहले ही प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है.
लखनऊ में मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष लड़की की मां का बयान पहले ही दर्ज किया जा चुका है. लड़की को 22 फरवरी को एम्स में भर्ती कराया गया था. लड़की की मां ने दावा किया है कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी में एक पद और रेत खनन का ठेका देने का वादा कर उससे दो साल से भी अधिक समय तक कई बार सामूहिक बलात्कार किया गया. लड़की की मां ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जिसने मंत्री और उसके सहयोगियों के खिलाफ घटना के सिलसिले में एक प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. नाबालिग लड़की का इलाज कर रहे चिकित्सकों के मुताबिक वह गहरे सदमे में है. उनके मुताबिक ‘‘वह डर के साये में रह रही है. वह रात को सो नहीं पाती है.