नई दिल्ली। नाटकीय घटनाक्रम में चीन ने एक बार फिर जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को प्रतिबंधित सूची में डालने की भारत की कोशिश पर अड़ंगा लगा दिया है।पठानकोट हमले के मास्टर माइंड जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को प्रतिबंधित सूची में शामिल करने की भारत ने यूएन में अपील की थी। गुरुवार को डेडलाइन से महज कुछ घंटे पहले चीन ने यूएन कमिटी को फिलहाल इस फैसले पर रोक लगाने की गुजारिश की है। सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के नाते चीन के पास वीटो पावर है। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि यूएन कमिटी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना को प्रतिबंधित सूची में डालने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
पठानकोट एयरबेस में 2 जनवरी को आतंकी हमला हुआ था। इस घटना के बाद फरवरी में भारत ने अजहर मसूद को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित सूची में डालने की अपील की थी। अपील के साथ भारत ने पटानकोट हमले में मसूद की भूमिका को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रमाण भी पेश किए थे। इस हमले में सेना के सात जवान शहीद हो गए।
उच्चस्तरीय सूत्रों के मुताबिक, भारत ने यूएन को अपील के पक्ष में यह तर्क भी दिया था कि मसूद अजहर को प्रतिबंधित नहीं किया गया तो दक्षिण एशिया के दूसरे राष्ट्रों के लिए भी खतरा बन सकता है। तकनीकी बारीकियों के तहत भारत की तरफ से दिए सबूतों की जांच यूएन की काउंटर टेररेजम एग्जिक्युटिव डायरेक्टरेट (CTED) ने की थी। जिसके बाद तकनीकी टीम ने अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस के समर्थन के बाद इसकी जानकारी सभी सदस्यों को दी।
सूत्रों का कहना है कि सभी सदस्यों को सूचित किया गया था कि अगर सुरक्षा परिषद के पांचों सदस्य देश अपनी सहमति देते हैं तो प्रतिबंधित सूची में मसूद अजहर को शामिल करने की औपचारिक स्वीकृति दी दी जाएगी। हालांकि डेडलाइन के महज कुछ घंटे पहले चीन ने इस फैसले को कुछ समय के लिए रोक देने की बात कही। इससे पहले भी एक बार चीन ऐसा कर चुका है।
सरकार से जुड़े एक सूत्र का कहना है, ‘चीन ने यह कदम पाकिस्तान के साथ मशवरे के बाद उठाया।’ यूएन ने 2001 में जैश-ए-मोहम्मद को प्रतिबंधित सूची में डाला था। 2008 में मुंबई हमले के बाद भारत ने एक बार फिर मसूद अजहर को प्रतिबंधित सूची में डालने की अपील की थी, लेकिन उस वक्त भी चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया था।