नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के साथ सरकार बनाने के मामले में भारी अनिश्चितता के बीच पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की चीफ महबूबा मुफ्ती सोमवार दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचीं। मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत के बाद से जम्मू-कश्मीर में तीन महीने से राज्यपाल शासन है। पिछले हफ्ते भी महबूबा मुफ्ती दिल्ली आई थीं। तब उन्होंने बीजेपी चीफ अमित शाह से मुलाकात की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तब उनकी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात नाकाम रही थी और वह श्रीनगर लौट गई थीं।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस बीच प्रदेश के राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात की है। उन्होंने प्रदेश में जारी अनिश्चितता पर चिंता जताई है। उमर ने कहा कि खरीद फरोख्त में शामिल होने के बजाय वह मध्यावधि चुनाव के लिए जाना पसंद करेंगे। अब्दुल्ला ने पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर पद संभालने के बाद महबूबा इतनी अनिर्णय की स्थिति में बनी रहती हैं तो अल्लाह मदद करे। उमर ने ट्वीट किया, ‘अगर महबूबा मुख्यमंत्री बनने के बाद भी इतनी ही अनिर्णय की स्थिति में रहने वाली हैं जितनी वह पिछले ढाई महीने में पार्टी अध्यक्ष के तौर पर रही हैं तो अल्लाह मदद करे।’
पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रेजिडेंट ने 24 मार्च को पार्टी के विधायकों की एक मीटिंग बुलाई है। महबूबा के इन कदमों से जम्मू और कश्मीर में सरकार बनने की संभावना होने का संकेत मिलता है।
अगर दिल्ली में बीजेपी और महबूबा की बातचीत के ताजा दौर में सब कुछ ठीक रहता है तो पीडीपी 24 मार्च को अपने विधायक दल का नेता चुन सकती है। यह प्रक्रिया संबंधी निर्णय होगा जिससे राज्य में नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। पीडीपी के पूर्व मंत्री नईम अख्तर ने कहा, ‘मीटिंग के लिए फिलहाल कोई अजेंडा नहीं है। उसमें विधायक दल के नेता का चुनाव हो सकता है।’ लेकिन पीडीपी ने इस बात पर चुप्पी साध ली कि महबूबा का मन कैसे बदल गया और उनका दिल्ली आना हुआ।
पीडीपी और बीजेपी की बातचीत पिछले हफ्ते तब अटक गई थी, जब महबूबा पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद खाली हाथ शनिवार को श्रीनगर लौटी थीं। मुलाकात में डील होने की उम्मीद थी लेकिन हो नहीं पाई। पीडीपी ने बीजेपी के साथ बने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम-एजेंडा ऑफ अलायंस समयबद्ध तरीके से लागू किए जाने का भरोसा मांगा है।
पीडीपी के पूर्व मंत्री और पार्टी विधायक ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘हम सब महबूबा जी का सपोर्ट करते हैं लेकिन हम फ्रेश इलेक्शन नहीं चाहते। राजनीतिक अनिश्चितता खत्म होनी चाहिए। हमें अगली मीटिंग में सीएम कैंडिडेट चुनना होगा।’
महबूबा के साथ दिल्ली पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू और पीडीपी यूथ विंग के प्रेजिडेंट वहीद पारा आए थे। हसीब राज्य के पूर्व वित्त मंत्री हैं और इन्होंने बीजेपी के राम माधव के साथ मिलकर अजेंडा ऑफ अलायंस तैयार किया था। सूत्रों के मुताबिक, महबूबा अमेरिका से आ रही अपनी बेटी को भी रिसीव करेंगी। एक पीडीपी लीडर ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा, ‘पिछले हफ्ते वह दिल्ली से लौटने के बाद हैरान परेशान थीं। उनका यह नया दौरा कुछ पॉजिटिव राजनीतिक रिजल्ट ला सकता है।’ पीडीपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कमोबेश सभी विधायक सरकार बनाने के हक में हैं और यही बात महबूबा अपनी जनसभाओं में कह चुकी हैं।