नई दिल्ली। भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में धमाके के जरिए अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन IS ने भारत में दस्तक दे दी है। यह IS के मॉड्यूल का देश के भीतर पहला आतंकी हमला है। इस कम तीव्रता वाले धमाके में 10 लोग घायल हुए हैं। हमले का मास्टरमाइंड और गैंग का लीडर सैफुल्लाह लखनऊ में हुए एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। गैंग के सभी 8 लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं।
मंगलवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में स्थित एक घर में सैफुल्लाह और साथियों ने डेरा डालकर एटीएस पर फायरिंग की। इंटेलिजेंस एजेंसियों के सूत्रों ने इनके आईएस मॉड्यूल से होने की पुष्टि तो की, लेकिन यह साफ नहीं हो पाया कि क्या इनकी करतूतें बाहर बैठे आकाओं के निशाने पर चल रही थीं?
इससे पहले ये आतंकी किसी और घटना को अंजाम देते, सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट्स के दम पर इनके मंसूबों को कामयाब होने से रोक लिया गया। सूत्रों के मुताबिक, दानिश, मीर हुसैन और आतिश मुजफ्फर को एमपी के पिपरिया से गिरफ्तार किया गया। दो अन्य मोहम्मद फैजल और मोहम्मद इरफान को कानपुर के जाजमऊ से धरा गया। आलम नाम के शख्स की धरपकड़ यूपी के इटावा से हुई।
पुलिस सैफुल्लाह को जिंदा पकड़ना चाहती थी, जिसने घंटों एटीएस टीम को छकाया। रात में धावा बोलने के बाद अत्याधुनिक हथियारों के साथ जवान मौके पर डटे रहे और आतंकी को ढेर कर दिया। एक टॉप इंटेलिजेंस ऑफिशल ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘ट्रेन में ब्लास्ट करना इनका ट्रायल रन था। आगे चलकर ये बड़े हमलों की फिराक में थे।’
लखनऊ में एटीएस कमांडर छत तोड़कर मकान में दाखिल हुए, जिसके बाद सैफुल्लाह ने वहीं एक जगह खुद को लॉक कर लिया। पुलिस को इन आतंकियों के छिपे होने के इनपुट्स एमपी एटीएस से मिले थे। बताया गया कि जब पुलिस ने चिली ग्रेनेड्स और टियर गैस का इस्तेमाल किया तो सैफुल्लाह ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। इसके बाद उसने फायरिंग से जवानों को जवाब देना शुरू कर दिया।
यूपी एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) दलजीत चौधरी ने बताया कि पुलिस ने सैफुल्लाह को जिंदा पकड़ने के तमाम प्रयास किए। यह पहली बार है, जब IS ने भारत में घुसकर इस तरह हमला किया है। इससे पहले आईएस के मॉड्यूल्स द्वारा दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद समेत कई बड़े शहरों में आतंकी योजनाएं विफल साबित हुई हैं।
बीते एक साल में एनआईए और पुलिस ने विभिन्न राज्यों से ऐसे 60 भारतीय मूल के लोगों को पकड़ा है जो IS में शामिल हुए थे। वे देश के भीतर किसी भी तरह के हमले में भूमिका निभा सकते थे।