पटना। प्रश्नपत्र लीक मामले में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार की गिरफ्तारी के बाद रविवार को पटना में राज्य आईएएस एसोसिएशन की आपात बैठक हुई. बैठक में कई फैसले किए गए और एक प्रस्ताव भी पारित किया गया. उसके बाद आईएएस अधिकारियों के एक दल ने राज्यपाल से मिलकर और उन्हें ज्ञापन सौंपकर गुहार लगाई है कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार के खिलाफ पुलिस जांच पर उनका भरोसा नहीं इसलिए सीबीआई से मामले की जांच कराई जानी चाहिए. बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार किसी भी प्रकार का मौखिक आदेश नहीं लेने का फैसला किया गया, यहां तक कि मुख्यमंत्री कार्यालय से भी लिखित में ही आदेश लिए जाएं. प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि एसोसिएशन के सदस्य ना तो कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष का पद ग्रहण करेंगे और न ही परीक्षा नियंत्रक का या फिर किसी रिक्रूटमेंट बोर्ड के प्रमुख का. यहां तक कि सुधीर कुमार के मामले में उनकी तुरंत रिहाई के लिए जो भी कानूनी खर्च आएगा वह भी एसोसिएशन ही वहन करेगा. और जब तब उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती तब तक वो हाथों पर काली पट्टी भी बांधेंगे.
प्रश्नपत्र लीक मामले में गिरफ्तार बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार फ़िलहाल पटना की फुलवारी जेल में हैं. हाल के दिनों में राज्य पुलिस ने पहली बार किसी वरिष्ठ अधिकारी को गिरफ्तार किया है और ये पहली बार है कि राज्य आईएएस एसोसिएशन और मुख्यमंत्री आमने-सामने हैं. राज्यपाल से बैठक के बाद एसोसिएशन के सचिव विवेक सिंह ने कहा कि पुलिस जांच में क्या तथ्य हैं उसके बारे में उन्हें नहीं पता लेकिन राज्य सरकार और पुलिस को सुधीर कुमार के खिलाफ सबूतों पर इतना भरोसा है तब सीबीआई जांच करा ले, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.
इसके पहले राज्य आईएएस एसोसिएशन की आपात बैठक रविवार को पटना में हुई और उसके बाद राजभवन के सामने आईएएस अधिकारियों ने मानव श्रृंखला बनाई. ये हाल के वर्षों में पहली बार था कि राज्य के आईएएस अधिकारी राज्य सरकार या कहें पुलिस के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे. इसके पहले सुधीर कुमार की गिरफ़्तारी के बाद एक प्रतिनिधिमंडल ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी और उन्हें दो टूक शब्दों में कहा था कि अगर परीक्षा कराने के लिए अधिकारियों को जेल भेजा जायेगा तब आने वाले दिनों में कोई भी अधिकारी परीक्षा कराने से बचना चाहेगा. इससे शायद ही राज्य में कोई नियुक्ति हो पाएगी. जानकारों के अनुसार नीतीश कुमार भी आईएएस अधिकारियों के तेवर देखकर हतप्रभ थे और उन्होंने एक अधिकारी को बाद में काफी उतेजित होने के लिए टोका भी था.
लेकिन राज्य के आईएएस अफसरों का कहना है कि नीतीश कुमार का अधिकारियों के प्रति दोहरा रवैया होता है. अगर शंका होने पर सुधीर कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया, तो पिछले साल के बहुचर्चित मेधा घोटाले में तत्कालीन शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव धर्मेंद्र सिंह गंगवार के खिलाफ कार्रवाई तो छोड़िए, पटना पुलिस ने पूछताछ करने की हिम्मत तक नहीं जुटाई. जबकि वैशाली के जिलाधिकारी ने फाइल में लिखा है कि गंगवार के आदेश पर ही परीक्षा केंद्र बदला गया. सुधीर कुमार के बचाब में आईएएस अधिकारियों की दलील है कि उनकी छवि साफ-सुथरे अफसर की रही है और उनके खिलाफ बदले की भावना के तहत कार्रवाई की गई है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार के प्रधान सचिव चंचल कुमार के ससुर को सुधीर कुमार ने पहले जेल भेजा था, उसी का बदला लिया जा रहा है. इसके अलावा पटना पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच दल के मुखिया मनु महाराज के समय में पटना में दो हादसे हुए, लेकिन नीतीश कुमार ने कभी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की. इसके अलावा मामले के जांचकर्ता राकेश दुबे के बारे में भी विपक्ष के नेता सुशील मोदी आरोप लगा चुके हैं कि उनकी विवादास्पद पृष्ठभूमि के कारण जब तक बीजेपी सरकार में शामिल थी नीतीश कुमार ने कभी कोई महत्वयूर्ण पद नहीं दिया.
हालांकि पटना पुलिस का कहना है कि सुधीर कुमार के खिलाफ कार्रवाई खासकर गिरफ्तारी के पहले पुख्ता सबूत इकट्ठा होने के बाद ही इतना बड़ा कदम उठाया गया है और राज्य आईएएस एसोसिएशन बिना मतलब का तिल का तार बना रहा है. सुधीर ने पूछताछ के दौरान न कभी सहयोग किया, बल्कि परिवार वालो की संलिप्तता के बाद बिना बताए पटना से चले गए. वहीं नीतीश कुमार के करीबी लोग बताते हैं कि उनके शासनकाल में न किसी को बचाया गया है, न किसी को फंसाया गया हैं. लेकिन निश्चित रूप से नीतीश कुमार के 11 वर्षों से अधिक के शासनकाल में ये पूरा घटनाक्रम उनके लिए बड़ा धक्का है.