रियो डी जनीरो। नीदरलैंड के खिलाफ पुरुष हॉकी मुकाबले में करारी शिकस्त झेलने के बावजूद भारतीय टीम ओलिंपिक के क्वॉर्टरफाइनल में पहुंचने में सफल रही है। 1980 के बाद यह पहला मौका है, जब भारतीय हॉकी टीम ओलिंपिक के क्वॉर्टरफाइनल में पहुंची है। इस लिहाज से यह हॉकी टीम की बड़ी उपलब्धि है और लंबे अरसे बाद पदक की उम्मीद जगी है। पूल बी के एक अन्य मैच में मौजूदा ओलिंपिक चैंपियन जर्मनी और अर्जेंटीना के बीच मैच 4-4 से बराबर छूटने की वजह से भारतीय टीम अंतिम 8 में पहुंच गई है। भारत अब पूल बी में चार मैचों में छह अंक लेकर तीसरे स्थान पर है। यदि वह कल अपने आखिरी लीग मैच में कनाडा से हार भी जाता है, तब भी उसका आखिरी आठ में स्थान तय है।
पूल ए और पूल बी से शीर्ष चार पर रहने वाली दो टीमें क्वॉर्टरफाइनल में जगह बनाएंगी। भारत और नीदरलैंड के बीच मैच में आखिरी कुछ क्षणों में काफी रोमांचक खेल देखने को मिला। भारत ने अंतिम वक्त में कड़ी चुनौती पेश की। मुकाबले में जब सिर्फ चार मिनट बचे थे और भारत 1-2 से पिछड़ रहा था, जब टीम ने गोलकीपर पीआर श्रीजेश की जगह एक अतिरिक्त फॉरवर्ड उतार दिया। भारत को इसका फायदा भी मिला जब उसे विडियो रेफरल के जरिये मैच खत्म होने से छह सेकेंड पहले अपना चौथा पेनल्टी कार्नर मिला।
इस पेनल्टी कार्नर के बाद भारत को लगातार चार और पेनल्टी कार्नर मिले लेकिन चार शाट लेने वाले वाले रुपिंदर पाल सिंह और रघुनाथ ड्रैग फ्लिक के जरिये गोलकीपर याप स्काटमैन की अगुआई वाले नीदरलैंड के डिफेंस को भेदने में नाकाम रहे। भारत और नीदरलैंड दोनों ने सतर्क शुरुआत की। भारत ने शुरुआती 15 मिनट में गेंद को अपने कब्जे में अधिक रखा, लेकिन गोल करने का कोई मौका नहीं बना पाया। नीदरलैंड की टीम ने भी भारत के खेल को परखने में समय लिया, लेकिन टीम धीरे-धीरे दबाव बनाने लगी।
नीदरलैंड के लिए गोल करने का पहला अच्छा मौका हर्ट्जबर्गर के पास पर बना, लेकिन दोनों ही मौकों पर भारतीय गोलकीपर श्रीजेश ने चपलता दिखाते हुए विरोधी टीम को गोल से महरुम रखा। अपना 100वां अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे एसके उथप्पा और एसवी सुनील ने दायें छोर से अच्छा मूव बनाया लेकिन नीदरलैंड के डिफेंस को नहीं भेद पाए। पहले दो क्वॉर्टर गोलरहित रहने के बाद नीदरलैंड ने 32वें मिनट में होफमैन के जरिये बढ़त बनाई। जिन्होंने पहले पेनल्टी कार्नर पर डेनी वान डेर मीरडन के शाट पर रिबाउंड पर गोल दागा।
भारत ने हालांकि छह मिनट के भीतर रघुनाथ के गोल के जरिए बराबरी हासिल की, जिन्होंने लगातार दो पेनल्टी कार्नर में से दूसरे को गोल में बदला। तीसरे क्वॉर्टर के अंतिम लम्हों में नौ खिलाडियों से खेलने के बावजूद भारत ने विरोधी टीम को गोल नहीं करने दिया। क्वॉर्टर में जब तीन मिनट से कुछ अधिक का समय बचा था, तब सुनील और रघुनाथ को अलग-अलग घटनाओं में पीले कार्ड दिखाए गए। नीदरलैंड ने तीसरे क्वार्टर में भारत पर दबाव बनाया। टीम को जल्दी जल्दी तीन पेनल्टी कार्नर मिले।
श्रीजेश ने दो प्रयासों को तो नाकाम किया लेकिन मिंक वान डेर मीरडन ने तीसरे पर गोल दागकर नीदरलैंड को 2-1 की बढ़त दिला दी। भारत को इसके बाद छह पेनल्टी कार्नर मिले जिसमें से पांच अंतिम सेकंडों में मिले, लेकिन टीम बराबरी हासिल नहीं कर पाई।