लखनऊ।उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव आखिरी चरणों में है। सभी सियासी दिग्गज रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। यूपी के चुनावों में पहली बार ऐसा हुआ है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरे हैं। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की अगुवाई में सपा-कांग्रेस यार बने लेकिन दोनों का साथ कई सवालों को जन्म दे रहा है। पहला सवाल यह कि क्या कांग्रेस खुद अपने आपको को खत्म करना चाहती है। दूसरा यह कि क्या राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने का ख्बाव देखना छोड़ दिया है। अगर ऐसा नहीं है तो राहुल गांधी यूपी चुनावों में बलि का बकरा नहीं बनते।
उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव बहुत ही अहम चुनावों में से एक है, क्योंकि यूपी की राजनीति में हर बार कुछ न कुछ नया होता है। 2017 के विधानसभा में सियासी राजनीति अपने चरम पर है। वही इस बार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने साथ आकर गठबंधन करके नया इतिहास रचा। इस गठबंधन में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी बलि का बकरा बनते नजर आ रहे हैं, क्योंकि अखिलेश जब पिता मुलायम सिंह को झटका दे सकते हैं तो राहुल क्या चीज हैं। अगर आपने गौर किया हो तो देखिएगा जितनी भी अखिलेश-राहुल को साझा रैलियां हुई हैं, उसमे राहुल से ज्यादा अखिलेश बोलते हुए नजर आते हैं। राहुल वही बोलते हैं जो अखिलेश का आदेश होता है।
बता दें की राहुल के गठबंधन वाले फैसले से कांग्रेस नाराज है। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का कहना है की अगर हम 403 सीटों पर चुनाव लड़ते तो 403 नेता तैयार होते। गठबंधन के बाद अब 100 भी तैयार नही होंगे। उधर सपा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपना गणित लगाते हुए कांग्रेस को साथ जोड़ लिया क्योंकि अखिलेश जानते थे इस बार विधानसभा में कड़ी टक्कर मिलेगी। अगर कांग्रेस को साथ जोड़ लिया जाये तो सीटों में बढोतरी भी होगी और केंद्र के लिये उनका रास्ता भी साफ हो जायेगा।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। राहुल पीएम बनना चाहते हैं और अगर यूपी में अखिलेश दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं, तो भविष्य में प्रधानमंत्री पद के मजबूत दावेदार बनेगें जो नेता जी नही कर पाए वो बबुआ (अखिलेश ) कर के दिखायेगा।