नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी में चल रहे हंगामे ने एक विकराल रूप ले लिया है. अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर शुरु हुए दंगल में सभी लेफ्ट-राइट करते हुए नज़र आ रहे हैं. “भारत तेरे टुकड़े होंगे” और “कश्मीर की आजादी” के लिए नारे लगाने वाले उमर खालिद के समर्थन में उतरे कांग्रेसी और लेफ्ट पार्टियों के नेता बीजेपी पर असहिष्णुता का आरोप लगाने में व्यस्त हो गए हैं. अब इसी सिलसिले में एक बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है जिसे देख सभी हक्के-बक्के रह गए हैं.
पूर्व प्रायोजित था डीयू कांड?
सूत्रों के हवाले से खबर आयी है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में चल रहा पूरा का पूरा दंगल पूर्व प्रायोजित था. आपको याद होगा कि बिहार चुनाव के वक़्त असहिष्णुता का खेल शुरू हो गया था. जिसके बाद कई लोगों ने अपने-अपने अवार्ड वापस करने का कार्यक्रम चलाने का ऐलान भी कर दिया था. इस मुद्दे को उन दिनों मीडिया में भी खूब उछाला गया था लेकिन बिहार चुनाव ख़त्म होते ही पूरा मुद्दा ऐसे गायब हो गया था जैसे गधे के सर से सींग.
सूत्रों के मुताबिक़ यूपी चुनाव में हुए अब तक के मतदान के अनुसार बीजेपी बहुमत के साथ जीतती दिखाई दे रही है. ऐसे में बीजेपी को यूपी चुनाव में नुक्सान पहुचाने और एक तबके के वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए इस पूरी साजिश को अंजाम दिया गया है. हालांकि जानकारी ये भी मिल रही है कि विरोधी अपनी इस चाल में सफल नहीं हो सके हैं क्योंकि सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पूरे प्रकरण की सच्चाई पहुच चुकी है.
बीजेपी को रोकने की साजिश?
सूत्रों के हवाले से जानकारी ये भी आयी है कि गुरमेहर को भी इस साजिश में बाकायदा एक मोहरा बनाया गया. उसने पहले पूरे मामले को चिंगारी दिखाई और उसके बाद सारे मामले को दिल्ली पुलिस और दिल्ली महिला आयोग के हवाले करके दिल्ली छोड़ कर चली गयी. खबर ये भी आ रहीं हैं कि पुलिस ने गुरमेहर को रेप की धमकी देने वाले के ट्विटर अकाउंट से कुछ जानकारियां जमा कर ली हैं और वो शख्स एबीवीपी का नहीं बल्कि आईसा का छात्र हो सकता है.
वहीँ सोशल मीडिया में गुरमेहर की कुछ तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं जिनमे उसका सम्बन्ध आम आदमी पार्टी के साथ दिखाया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो पूरा का पूरा मुद्दा बाकायदा एक सोची-समझी साजिश के तहत बनाया गया और उसे हवा दी गयी ताकि जनता का ध्यान बीजेपी की विकास की राजनीति से एक बार फिर हैट जाए और लोगों को अलग-अलग तबकों में बाँट कर उनके वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके. इसी के चलते पुलिस भी अब तेजी से अणि जांच में जुट गयी है और पूरी कोशिश कर रही है कि दोषियों को जल्द से जल्द क़ानून के अनुसार सजा दी जा सके.