श्रीनगर। महबूबा मुफ्ती सरकार को जम्मू कश्मीर के हालातों पर अब अपने ही लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार के वित्त मंत्री हसीब द्रबू की पत्नी रूही नाज्की ने शुक्रवार को महबूबा सरकार को पद छोड़ देने को कहा। उन्होंने कहा कि ‘बच्चों की नृशंस हत्या, प्रदर्शनकारियों पर आपराधिक कार्रवाई व अपंग करना और पूरी आबादी को शर्मनाक रूप से बंद कर देना गलत है। सोशल साइट फेसबुक पर लिखी पोस्ट में नाज्की ने प्रदर्शनकारियों पर सरकार की कार्रवाई को ‘अनैतिक, अधर्म, दुखद और गलत’ बताया। नाज्की टाटा एग्जीक्यूटिव रह चुकी हैं और हाल ही में उन्होंने श्रीनगर में टी हाउस शुरू किया है। उनके टी हाउस चाय जय का उद्घाटन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इसी साल की शुरुआत में किया था।
रूही नाज्की शिक्षा मंत्री व पीडीपी नेता नईम अख्तर, राजस्व मंत्री बशरत बुखारी और इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस सैयद जावेद मुज्तबा गिलानी की कजिन भी हैं। रूही ने लिखा, ”यह अनैतिक, अधर्म, दुखद और गलत है। कश्मीर में पिछले 14 दिन से जो कुछ हो रहा है वह बहुत बुरा है। बच्चों की नृशंस हत्या, प्रदर्शनों पर आपराधिक कार्रवाई व अपंग करना और पूरी आबादी को शर्मनाक रूप से बंद कर देना गलत है। पिछले दो दशक से ऐसा हो रहा है तो भी यह गलत है। यह गलत है अगर गई सारी एजेंसियां मिलकर कश्मीर को जलाना चाहती हैं। दिन रात चाहे जो कारण बताए जाएं यह गलत है। चाहे कोई भी हमें कारण बताएं यह गलत है।”
उन्होंने आगे लिखा, ”हमारे देश के सुरक्षाबलों के हाथों कश्मीर के बच्चे मारे जा रहे हैं। उनके जवां शरीरों में पैलेट कौन उड़ेल रहा है। एक लोकतांत्रिक देश में पूरी आबादी को कई दिनों तक बंधक बना लिया जाता है, वो भी बिना जरूरी सुविधाओं, फोन, अखबारों के। और यह सब लोकप्रिय रूप से चुनी गई सरकार के आंखों के सामने हो रहा है। जिनके पास ताकत हैं उन्हें या तो आगे आना होगा या फिर उन्हें पद छोड़ देना चाहिए। मुझे लगता है कि उन्हें पद छोड़ देना चाहिए। हमारी आने वाली नस्लों के लिए भरोसे को जिंदा रखना सबसे जरूरी है ताकि वे सच का चेहरा देख सकें।”
रूही ने आगे लिखा, ”उन्हें पद छोड़ देना चाहिए ताकि हम समझ सकें कि हरेक चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार सत्ता में आने के बाद जवाब न दे सकने वाला पत्थर न बन जाए। कश्मीर की प्रत्येक नई सरकार पहले की तरह न बनें। उनके पद से हटने से हो सकता है कि अन्याय न रूके। लेकिन मुद्दा यह नहीं है। मुद्दा है उनका विरोध करना। जो चलता आ रहा है उस गलत काम में भागीदार मत बनो। चुप्पी और इंतजार व देखने की कड़ी को तोड़ने के लिए। जमीर को जिंदा रखने के लिए। न्याय नहीं तो सच को बनाए रखने के लिए।”