लखनऊ। बलात्कार के आरोपी सपा के प्रत्याशी गायत्री प्रजापति की वाई श्रेणी की सुरक्षा में लगी पुलिस हटा ली गई है। उनकी सुरक्षा में लगे सिपाहियों को पुलिस लाइन से सम्बद्ध कर दिया गया है। एसपी अमेठी अनीस अहमद अंसारी ने उच्च अधिकारियों के निर्देश के बाद यह कार्रवाई की है। इस संबंध में एडीजी कानून एवं व्यवस्था दलजीत सिंह चौधरी ने एक बयान में कहा कि गायत्री और बलात्कार के आरोपी छह अन्य लोगों के पासपोर्ट भी जल्द रद्द कर दिए जायेंगे। उधर पीडि़ता की बेटी का बयान दर्ज करने के लिए मामले की जांच करने के लिए सीओ आलमबाग अमिता सिंह की टीम दिल्ली पहुंची। यहां पीडि़ता की बेटी के बयान दर्ज किये गए।
पुलिस के रिकॉर्ड के आधार पर घटना के दिन महिला की लोकेशन गायत्री के सरकारी आवास पर मिली। मोबाइल पर कई बार पीडि़ता और गायत्री की बातचीत भी हुई। जांच में पता चला कि महिला के साथ ही गायत्री ने भी महिला के मोबाइल पर कॉल की। पड़ताल में पुलिस काफी महीन मुद्दों पर भी ए क एक चीज की बहुत ही बारीकी से पड़ताल कर रही है ताकि जांच में कोई बाधा ना आये।
परिवहन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत 7 लोगों के खिलाफ लखनऊ के थाना गौतमपल्ली में रेप, गैंगरेप और नाबालिग के साथ रेप के प्रयास का मामला दर्ज है। सत्ता के प्रभाव से मामले में पुलिसिया कार्रवाई कछुए की चाल की तरह चल रही है। हालांकि एडीजी एलओ का कहना है कि मामले में पीडि़तों के बयान और सभी जरुरी साक्ष्य जुटाने पर ही अंतिम कार्रवाई की जाएगी। एडीजी यह बातें मंत्री गायत्री की गिरफ्तारी की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कहीं।
उन्होंने बताया कि मामले की विवेचक सीओ आलमबाग अमिता सिंह द्वारा पीडि़ता का 164 सीआरपीसी के तहत न्यायालय में कलमबंद बयान हों चुका है। पीडि़ता की बेटी के बयान के लिए विवेचक की टीम दिल्ली गई थी जहां उसका बयान दर्ज किया गया। पुलिस के मुताबिक, गायत्री और उनके साथ इस केस में आरोपी अभी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। बयान और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के आधार पर मामले की जांच की जा रही है।
बता दें कि इस मामले में चित्रकूट जिले की एक पार्षद ने मंत्री गायत्री समेत उनके गुर्गों पर सामूहिक बलात्कार के साथ ही बेटी के साथ भी यौन उत्पीडऩ करने का आरोप लगाया था। इस मामले की शिकायत पीडि़ता ने जनपद स्तर से लेकर सूबे के पुलिस अधिकारियों से की थी लेकिन मंत्री के दबाव के चलते आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया था। हालांकि इस मामले में सीबीसीआईडी की जांच चल रही थी। लेकिन इस जांच से महिला संतुष्ठ नहीं थी। इसके चलते आरोपियों को सजा दिलाने के लिए पीडि़ता को सुप्रीम कोर्ट की मदद लेनी पड़ी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाईं थी इस मामले में पीडि़ता की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया था।
इस आदेश का पालन करने के लिए पुलिस अधिकारियों ने विधिक राय लेने के बाद मौजूदा परिवहन मंत्री गायत्री प्रजापति समेत 7 लोगों के खिलाफ 18 फरवरी को गौतमपल्ली थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया था। आरोपी मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति, अशोक तिवारी, पिंटू सिंह, विकास वर्मा, चंन्द्र पाल, रूपेश और आशीष शुक्ला के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में अपराध संख्या 29/11 आईपीसी की धारा 376 डी महिला के साथ गैंग रेप, 376/511 महिला की बेटी के साथ रेप का प्रयास, 504,506 और 3/4 पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है।