नई दिल्ली। दूरसंचार सचिव जे एस दीपक को इस वर्ष जून से वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (डब्लूटीओ) का अगला एंबैसडर घोषित किया गया है. एक आधिकारिक आदेश के अनुसार उत्तर प्रदेश कैडर के 1982 बैच के आईएएस अधिकारी दीपक को तत्काल प्रभाव से दूरसंचार मंत्रालय से हटा दिया गया है और उन्हें वाणिज्य विभाग में विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) बनाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाला मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति के आदेश के अनुसार वह 31 मई तक ओएसडी के रूप में काम करेंगे.
आपको बता दें हाल ही में टेलीकॉम सचिव जे एस दीपक का एक पत्र चर्चा में आया था जो उन्होने टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के चेयरमैन आरएस शर्मा को लिखा. इसमें उन्होंने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दिए जा रहे ‘प्रमोशनल टैरिफ’ की समयसीमा पर पाबंदी लगाई जाए.
उन्होंने कहा था कि टेलीकॉम कंपनियों के ऐसे प्रमोशनल ऑफर्स से इस उद्योग के बुरी तरह प्रभावित होने के साथ ही सरकार को करीब 800 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. 23 फरवरी को लिखे गए पत्र में जे एस दीपक ने लिखा, “टेलीकॉम सेक्टर और सरकार की आय के बड़े परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए टैरिफ आदेशों की पुर्नजांच और पुर्नविचार की तत्काल जरूरत दिखाई देती है.”
यह पत्र उस दौरान सामने आया है जब रिलायंस जियो के आने के बाद अन्य टेलीकॉम ऑपरेटर्स के बीच टैरिफ वार छिड़ी हुई है, जिसमें जियो ने अपने प्रमोशनल ऑफर को लूपहोल्स के जरिये 90 दिनों की स्वीकृत समयसीमा से ज्यादा बढ़ा दिया था.
उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा कि मौजूदा वित्तीय वर्ष की जून में समाप्त तिमाही के दौरान सरकार को लाइसेंस फीस से 3,975 करोड़ रुपये मिले थे, जबकि सितंबर की तिमाही में यह रकम 3,584 करोड़ और दिसंबर की तिमाही में यह 3,186 करोड़ रुपये हो गई.
इस पत्र में ट्राई के उन दिशानिर्देशों को भी लिखा गया है जो 2002 और 2008 में जारी किए गए थे. इनमें कहा गया गया था कि प्रमोशनल टैरिफ की अधिकतम समयसीमा 90 दिन ही हो सकती है.