बेंगलुरु। कर्नाटक में पिछले दिनों सामने आए कथित 600 करोड़ के ‘डायरी रिश्वत’ मामले की जांच की आंच अब देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच सकती है। पिछले साल मार्च में कांग्रेस MLC के. गोविंदराजू के घर से मिली डायरी में कथित तौर पर बड़े राजनेताओं को करोड़ों रुपये देने का जिक्र था जिसकी जांच की जा रही है। डायरी में जिन प्रदेश स्तर के नेताओं का नाम सामने आया था, उन्हें समन भेजकर पूछताछ करने के बाद अब आयकर विभाग के अधिकारी दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय आकर ‘बड़े नेताओं’ से पूछताछ कर सकते हैं। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या अब SG, RG, AP, AICC, M Vora और DGS से भी पूछताछ की जाएगी?
हमारे सहयोगी अखबार मिरर ने इस संबंध में पुष्टि के लिए जब आयकर विभाग के अधिकारियों से बात की तो एक बड़े अधिकारी ने सिर्फ इतना कहा, ‘मैं पहले से इस बारे में कुछ भी कह कर जांच और मामले पर कोई असर नहीं पड़ने देना चाहता।’
पिछले साल मार्च में कांग्रेस एमएलसी गोविंदराजू के घर सर्च के बाद अगले दो महीने तक बेंगलुरु में राजनेताओं को पूछताछ के लिए आयकर विभाग के मुख्यालय बुलाया जाता रहा। ये वे नेता थे जिनका नाम संक्षेप में DKS, RVD, KJG, MBP, RLR, HCM और SB लिखा गया था। मुख्यमंत्री के सलाहकार और रिटायर हो चुके आईपीएस अधिकारी एम. केमपैया का नाम हालांकि पूरा लिखा गया था और उनके नाम के आगे ‘BBMP और ZP चुनाव’ के लिए 12 करोड़ रुपये देना लिखा हुआ था। मीडिया में उनका नाम उछलने के बीच केमपैया को इस मामले में सबसे पहले समन किया गया था। उन्होंने मीडिया पर अपनी छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए आयकर विभाग की कार्रवाई को ‘रूटीन पूछताछ’ बताया था।
इसके बाद केस से कथित तौर पर जुड़े अन्य नेताओं – डीके शिवाकुमार, आरवी देशपांडे, केजी जॉर्ज, एमबी पाटिल, रामालिंगा रेड्डी, एचसी महादेवप्पा और नौकरशाह टी शाम भट्ट को भी समन किया गया था, पर इन्हें ऑफिस में कामकाज का वक्त खत्म होने के बाद बुलाया गया था। एक सूत्र ने बताया, ‘केमपैया की नाराजगी के बाद, नेता कामकाज के समय में नहीं आना चाहते थे, क्योंकि फिर मीडिया की नजर उनपर पड़ जाती। अपना बयान दर्ज कराने के लिए उन्होंने चुपचाप कामकाज के वक्त के बाद आना ही ठीक समझा। जैसा कि उम्मीद थी, सभी ने इस बात से इनकार किया कि उनका डायरी से कोई संबंध है।’
सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद गोविंदराजू ने भी अपने बयान में दावा किया कि वह उनकी डायरी नहीं है और न ही उसमें मौजूद लिखावट उनकी है। जब उनके दावे की जांच की गई तो पता चला कि वाकई में लिखावट उनकी नहीं थी। एक सूत्र ने कहा, ‘चूंकि डायरी तलाशी के दौरान उनके घर से मिली थी, इसलिए उसे दस्तावेज के तौर शामिल किया गया और केंद्रीय वित्त मंत्रालय को एक गोपनीय नोट भेजा गया। सर्च ऑपरेशन में राजनेताओं और नौकरशाहों को रिश्वत दिए जाने से जुड़े सबूत मिले। उन्हें फाइल के रूप में वित्त मंत्रालय को भेजा गया।’
हालांकि संक्षेप में जिन अन्य नामों का जिक्र था उनसे कोई पूछताछ नहीं की गई। इनमें – SG ऑफिस, RG ऑफिस, AP, AICC, M Vora और DGS शामिल हैं जिन्हें कथित तौर पर सोनिया गांधी का दफ्तर, राहुल गांधी का दफ्तर, अहमद पटेल, मोलीलाल वोरा और दिग्विजय सिंह समझा जा रहा है। एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘अब इस केस में काफी तेजी आ गई है और यह बहुत संवेदनशील भी हो गया है। AICC के बड़े नामों को पूछताछ के लिए समन करने को लेकर काफी दबाव रहेगा। संभव है कि यब दिल्ली के आयकर अधिकारी की ओर से किया जाए।’
बता दें कि इस कथित रिश्वत के मामले में लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान 600 करोड़ रुपये तक लिए जाने और दिए जाने की जिक्र है।