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स्वाति न बन जाएं साधना, इसलिए माया के अपमान पर आक्रामक नहीं हो रही बसपा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की मुगलसराय सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की विधायक साधना सिंह ने बसपा अध्यक्ष मायावती के खिलाफ अमर्यादित बयान देते हुए गेस्ट हाउस कांड का जिक्र किया और कहा कि जिस समाजवादी पार्टी ने उनका चीर हरण किया उसी से बसपा ने गठबंधन कर लिया. बसपा इस बार बीजेपी नेता दयाशंकर प्रकरण की की तरह गलती नहीं दोहराना चाहती है, क्योंकि मामले उसका दांव उलटा पड़ गया था. इसीलिए बसपा नेता बीजेपी विधायक के खिलाफ फूंक-फूंक कदम रख रहे हैं और संभलकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो यही वजह है कि बसपा इस बार साधना सिंह टिप्पणी को लेकर बहुत ज्यादा तेवर के साथ सड़क पर नहीं उतरना चाहती है बल्कि रणनीति के साथ इस मुद्दे को कैश कराना चाहती है. बसपा नेताओं को पार्टी आलाकमान की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि कोई बयान ऐसा न दिया जाए जो बीजेपी के लिए संजीवनी साबित हो.साधाना को बयान दिए हुए तीन दिन गुजर गए हैं, लेकिन बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के अलावा किसी भी नेता ने कोई पलटवार नहीं किया है. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि इस मामले को लेकर बसपा खामोशी अख्तियार करे रहना चाहती है बल्कि लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे के जरिए मायावती सहानुभूति हासिल करना चाहती हैं.

सूत्रों की मानें तो बसपा ने इस बयान के जरिए बीजेपी की छवि को दलित विरोधी और महिला विरोधी रूप में पेश करने की रणनीति अपनाई है. इसे लेकर पार्टी नेता और कार्यकर्ता गांव-गांव खासकर दलित समुदाय के बीच बीजेपी नेता के बयान को उठाएंगे.

बता दें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के पहले 2016 में बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ने मायावती की तुलना वेश्या से की थी. इसके बाद बसपा नेता और कार्यकर्ता सूबे की सड़कों पर उतर आए थे. इस दौरान बसपा अध्यक्ष पर की गई अभद्र टिप्पणी की आलोचना करते हुए पार्टी के तत्कालीन बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह की बेटी को लेकर आपत्तिजनक बयान दे दिया था.

नसीमुद्दीन के बयान के बाद बीजेपी को अपने खिलाफ बन रहे माहौल से लड़ने का हथियार मिल गया. बीजेपी जो अभी तक बैकफुट पर थी वो नसीमुद्दीन के बयान को लेकर फ्रंटफुट पर आ गई. दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह ने मायावती और बसपा नेता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और बीजेपी कार्यकर्ता उनके साथ एकजुट हो गए.

बसपा जिसे लेकर चुनावी फायदा उठाना चाह रही थी उस पर नसीमुद्दीन की एक गलती भारी पड़ गई. बीजेपी ने मौकी नजाकत को समझते हुए स्वाति सिंह को बीजेपी यूपी महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से विधायक बनी और अब योगी सरकार में मंत्री हैं.