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सैन्य समाधान देना नेताओं का नहीं, सेना का काम: अरुण जेटली

नई दिल्ली। सेना द्वारा एक कश्मीरी को जीप से बांधने के मुद्दे पर रक्षा मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि परिस्थितियों से कैसे निपटना है, यह सेना पर ही छोड़ देना बेहतर है। बुधवार को कैबिनेट की मीटिंग के बाद मीडिया से मुखातिब अरुण जेटली ने सेना के समर्थन में यह बयान दिया।

रक्षा मंत्री ने कहा, सैन्य समाधान राजनीतिक टिप्पणियों के जरिये नहीं बल्कि सेना के अधिकारियों द्वारा दिए जाने जाने चाहिए। जेटली कश्मीर में उपचुनाव के दौरान मेजर गोगोई द्वारा कथित तौर पर हिंसा रोकने के लिए एक पत्थरबाज को आर्मी जीप से बांधे जाने पर उठाए गए सवाल का जवाब दे रहे थे। जेटली ने कहा, ‘कोई सिचुएशन कैसे संभालनी है, यह फैसला सैन्य अधिकारियों पर ही छोड़ देना चाहिए।’

गौरतलब है कि पिछले महीने स्थानीय कश्मीरी को मानव ढाल के तौर पर इस्तेमाल करने वाले मेजर नितिन लीतुल गोगोई को सेना ने आतंकवाद-विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मंगलवार को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। इसके बाद मीडिया से मुखातिब मेजर गोगोई ने बताया था कि अगर उन्होंने मानव ढाल के आइडिया पर अमल न किया होता तो कम से कम 12 जानें जा सकती थीं। उन्होंने कहा, अगर मैंने गोली चलाई होती तो बहुत ज्यादा नुकसान हो जाता।

मेजर गोगोई के बयान के बाद भी उनकी आलोचनाओं का सिलसिला थमा नहीं है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मेजर के इस कृत्य की सैन्य जांच करवाई जानी चाहिए।

In future pls don’t bother with the farce of a military court of inquiry. Clearly the only court that matters is the court of public opinion

वहीं, जीप से बांधे गए कश्मीरी फारूक अहमद डार ने मेजर गोगोई को सेना द्वारा सम्मानित किए जाने को ‘न्याय की हत्या’ बताया। उन्होंने मेजर गोगोई और सेना से पूछा है कि क्या वे सैनिकों को बचाने या पत्थरबाजी रोकने के लिए अपने बेटे को इस तरह जीप के बोनट पर बांधते?

पिछले महीने सोशल मीडिया पर स्थानीय कश्मीरियों द्वारा चुनावी ड्यूटी में लगे CRPF के जवानों की पिटाई के विडियो के तुरंत बाद एक और विडियो वायरल हुआ गया था, जिसमें सेना एक कश्मीरी को जीप से बांधकर ले जाती हुई दिख रही थी। कश्मीरी के सीने पर चिपके कागज पर लिखा था- मैं पत्थरबाज हूं। साथ ही सेना लाउडस्पीकर से यह चेतावनी दे रही थी कि पत्थरबाजों का यही अंजाम होगा। यह विडियो श्रीनगर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान 9 अप्रैल को शूट किया गया था। उमर अब्दुल्ला ने भी यह विडियो ट्वीट करते हुए इस मामले में ऐक्शन लेने की मांग की थी।