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सुप्रीम कोर्ट का सरकार-RBI को नोटिसः पूछा “पुराने नोट क्यों नहीं जमा कर सकते?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चलन से बाहर की जी चुकी करेंसी को 31 मार्च तक जमा कराने के लिये दायर एक याचिका पर आज केन्द्र और भारतीय रिजर्व बैंक से जवाबतलब किया. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि वादा करने के बावजूद अब लोगों को पुराने नोट जमा नहीं करने दिये जा रहे हैं.

नोटबंदी के बाद आरबीआई ने लोगों को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को जमा करने के लिए 30 दिसंबर तक का समय दिया था. इसके बाद भी जिन लोगों के पास पुराने नोट रह गए उनके पास इन्हें जमा कराने का कोई साधन नहीं रह गया जिसके चलते कई लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की तीन सदस्यीय बेंच ने याचिकाकर्ता शरद मिश्रा की याचिका पर केन्द्र और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किये. इन नोटिस का जवाब शुक्रवार तक देना है. न्यायालय ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह दिन के दरम्यान नोटिस की कॉपी को केन्द्र और रिजर्व बैंक पर भेजा जाना सुनिश्चित करे.

केन्द्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के ऐलान के समय 30 दिसंबर 2016 तक प्रतिबंधित की गई करेंसी को बैंक में जमा कराने की डेडलाइन तय की थी. जिसके बाद रिजर्व बैंक ने कहा था कि पुरानी करेंसी को 31 मार्च तक रिजर्व बैंक में जमा किया जा सकेगा. हालांकि उसने रिजर्व बैंक में जमा कराने वालों को यह वजह बताने की शर्त रख दी थी कि क्यों उक्त करेंसी को 30 दिसंबर 2016 की डेडलाइन तक नहीं जमा कराया गया.

गौरतलब है कि जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और एस के कौल की बेंच ने याचिकाकर्ता की दलील की रिजर्व बैंक ने अपने आखिरी नोटिफिकेशन में सिर्फ उन लोगों को 31 मार्च 2017 तक पुरानी करेंसी को जमा करने की इजाजत दी जो किसी वजह से नोटबंदी के दौरान देश से बाहर मौजूद थे. इस आधार पर याचिकाकर्ता ने इसे रिजर्व बैंक और मोदी सरकार द्वारा वादाखिलाफी करने का दावा किया है.

याचिका में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के आठ नवंबर, 2016 के भाषण और इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक के नोटिफिकेशन का हवाला दिया है. इसमें कहा गया था कि लोग 31 दिसंबर, 2016 के बाद भी प्रक्रियागत औपचारिकता पूरी करके 31 मार्च 2017 तक रिजर्व बैंक की ब्रांच में बंद की जा चुकी करेंसी जमा कर सकते हैं.

बेंच ने इस दलील पर विचार किया कि रिजर्व बैंक का पिछला अध्यादेश प्रधानमंत्री और रिजर्व बैंक द्वारा दिये गये आश्वासन का हनन करता है. इस अध्यादेश में सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों को ऐसे नोटस 31 तक जमा कराने की अनुमति दी गयी है जो इस अवधि में देश से बाहर थे.

सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केन्द्र, आरबीआई को नोटिस भेजा, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वादे के मुताबिक लोगों को चलन से बाहर किये गये नोट 31 मार्च 2017 तक जमा करने नहीं दिये जा रहे हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी से जुड़ी और याचिकाओं पर आगे की सुनवाई के लिए 10 मार्च की तारीख तय कर दी है.