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सायरस मिस्‍त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन से हटाए जाने पर विवाद, कोर्ट में जा सकता है मामला

mistriनई दिल्‍ली। कॉर्पोरेट सेक्‍टर के एक बड़े बदलाव सायरस मिस्‍त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाने के फैसले के बाद विवाद शुरू हो गया है। टाटा ग्रुप के सबसे बड़े हिस्‍सेदार शापूरजी और पालोनजी ग्रुप ने टाटा ग्रुप के इस फैसले को अवैध बताया है। साथ ही उन्‍होंने इस फैसले को चुनौती देने की बात भी कही है। माना जा रहा है कि शापूरजी और पालोनजी इस फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।

सूत्रों के मुताबिक, मिस्‍त्री को हटाए जाने के बाद शापूरजी और पालोनजी ग्रुप ने सोमवार को कहा, ‘सायरस मिस्‍त्री को पद से हटाए जाने का फैसला अवैध है। ऐसा करने से पहले कम से कम 15 दिनों का नोटिस दिया जाना जरूरी है। साथ ही मिस्‍त्री को हटाए जाने का फैसला सर्वसम्‍मति से नहीं लिया गया।’

ईटी नाउ की रिपोर्ट में कहा गया कि बोर्ड में शामिल नौ सदस्‍यों में से आठ ने वोट किया। इन आठ में से छह ने मिस्‍त्री के खिलाफ वोट दिया और दो ने खुद को वोटिंग से अलग रखा।

उधर, सीएनबीसी-टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सायरस मिस्‍त्री को उनकी परफॉर्मेंस की वजह से हटाया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले छह महीने से रतन टाटा और सायरस मिस्‍त्री के बीच काफी मतभेद चल रहा था। मिस्‍त्री को हटाए जाने के बाद अब रतन टाटा जल्‍द ही ग्रुप के सभी सीईओ से मुलाकात करेंगे। सूत्रों के अनुसार, समूह की कारोबारी कंपनियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) स्तर पर कोई बदलाव नहीं किया गया है।

टाटा सन्‍स ने मिस्‍त्री को हटाने का कारण नहीं बताया है पर माना जा रहा है कि घाटे में चल रही कंपनियों को छांटने और केवल फायदा देने वाले उपक्रमों पर ही ध्यान देने के उनके दृष्टिकोण की वजह से कंपनी में नाराजगी थी। इनमें यूरोप में घाटे में चल रहे इस्पात कारोबार की बिक्री का मामला भी शामिल है। इसके अलावा कंपनी के दूरंसचार क्षेत्र के संयुक्त उद्यम टाटा डोकोमो में जापानी कंपनी से अलग होने के मामले में भी डोकोमो के साथ कंपनी का एक कानूनी विवाद चल रहा है।


सायरस मिस्त्री को हटाए जाने संबंधी रतन टाटा का लेटर (Twitter/@AdityaRajKaul से साभार)