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सांसद अरविंद कुमार का राज्यसभा के लिए तय टिकट कटा, नामांकन के कुछ घंटे पहले सुरेन्द्र को मिल गई एंट्री

nagarwww.puriduniya.com लखनऊ। राज्यसभा के सांसद अरविंद कुमार का राज्यसभा के लिए तय टिकट अंतिम घड़ी में कट गया। नामांकन के कुछ घंटे पहले उनकी जगह सुरेन्द्र को एंट्री मिल गई। कहा जा रहा है कि वह सबकी पसंद नहीं बन पाए। सपा महासचिव प्रो.रामगोपाल उनकी वकालत करते रहे तो उन्हें लेकर कुछ अंतर्विरोध भी था। पार्टी के भीतर अब पश्चिमी यूपी में गुर्जरों की सियासत को और बेहतर करने और अगर चुनाव हो जाएं तो मैनेजमेंट के लिए बिजनेसमैन सुरेंद्र नागर को लाने की बातें कहीं जा रही हैं। जबकि अरविंद सियासत के इस मैनेजमेंट में मात खा गए।

गाजीपुर के रहने वाले अरविंद कुमार सिंह बूथ और चुनावी मैनेजमेंट के माहिर माने जाते हैं। वे धर्मेंद्र यादव, मुलायम सिंह यादव और मैनपुरी के सांसद तेज प्रताप के साथ ही फिरोजाबाद में अक्षय यादव का पूरा चुनाव मैनेजमेंट देख चुके हैं। उन्हें इन सभी के चुनावों का प्रभारी बनाया जा चुका है। मुलायम गुन्नौर से 2007 में चुनाव लड़े थे तो अरविंद उनके इलेक्शन एजेंट थे। धर्मेंद्र के 2009 के चुनाव में वह उनके लोकसभा प्रभारी थे। तेज प्रताप के मैनपुरी चुनाव में भी वह उनके प्रभारी रहे। सभी चुनावों में जीत के बाद उन्हें सपा प्रमुख ने खुद शाबासी दी।

दूध और घी के बड़े व्यवसायी सुरेंद्र नागर का पारस ब्रांड पूरे यूपी में मशहूर है। सुरेंद्र नागर नोएडा से बीएसपी के सांसद रहे हैं। इससे पहले वह 1998 में स्थानीय निकाय क्षेत्र से निर्दलीय एमएलसी बने थे तो 2003 में सपा और आरएलडी की मदद से एमएलसी बन गए थे। 2014 में वह लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सुरेंद्र नागर का कई जिलों पर प्रभाव माना जाता है। सहारनपुर, बुलंदशहर, बागपत, गाजियाबाद, नोएडा और आसपास के कई जिलों में गुर्जरों की आबादी बहुतायत में है। ऐसे में सपा को इन इलाकों में सुरेंद्र का फायदा मिल सकता है।

सपा की राज्यसभा की सूची घोषित हुई थी तो उसमें सीएम अखिलेश यादव का कोई करीबी शामिल नहीं था। अरविंद के टिकट में बदलाव के पीछे यह भी वजह तलाशी जा रही है। क्षत्रिय बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले अरविंद के सामने उन्हीं की बिरादरी से कद्दावर अमर सिंह को टिकट देकर भेजा जा रहा था। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले खुद सीएम अखिलेश यादव ने ही पूर्व सांसद सुरेंद्र नागर को सपा में शामिल कराया था। इसके बाद वह सीएम के कहने पर ही पंचायत चुनावों का मैनेजमेंट देखने मेरठ भेजे गए थे।

यह भी कहा जा रहा है कि राज्यसभा की कुल 11 सीटों में अगर किसी भी सीट पर चुनाव की स्थिति बनी तो सुरेंद्र नागर ज्यादा अच्छे मैनेजर साबित होंगे। वह बिजनेसमैन तो हैं हीं। साथ ही दूसरे दलों खासतौर पर आरएलडी और बीएसपी में उनके पुराने रिश्ते रहे हैं।