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सजा पूरी होने के 4 साल बाद भी पाकिस्तानी जेल में है भारत का बेटा

इस्लामाबाद। 2013 में पाकिस्तान में एक भारतीय नौजवान को गिरफ्तार कर लिया गया था. 5 साल बाद भी वह वहां की जेल से रिहा होने का इंतजार कर रहा है, जबकि पाकिस्तान की अदालत से उसे एक साल की सजा हुई थी, जो काफी पहले 2014 में ही पूरी हो चुकी है.

यह मसला है मध्य प्रदेश सिवनी जिले के बरघाट गांव निवासी जितेंद्र अर्जुनवार का. इस युवा ने अनजाने में LoC पार कर ली थी और पाकिस्तान पहुंच गया था. पाकिस्तान सीमा सुरक्षा एजेंसियों ने 15 साल के जितेंद्र को 12 अगस्त 2013 में भारतीय सीमा से 35 किलोमीटर दूर सिंध छावनी के पास से गिरफ्तार किया था. बाद में उसे जुवेनाइल जेल में बंद कर दिया गया था. उसे पाकिस्तान की अदालत ने एक साल की सजा सुनाई थी, जो 2014 में पूरी हो चुकी है.

गंभीर बीमारी से जूझ रहा है जितेंद्र

जितेंद्र खून से जुड़ी एक बीमारी से जूझ रहा है. बताया जाता है कि अर्जुन सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित है. वर्तमान में वह कराची के मलिर जेल में बंद है. इस्लामाबाद स्थित भारत का उच्चायोग उसकी रिहाई के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को कई बार इसे लेकर नोट भेजा गया है. जितेंद्र अर्जुनवार की रिहाई को लेकर दो दिन पहले ही इस मामले में एक नोट भेजा गया है. भारतीय उच्चायोग ने जितेंद्र के भारतीय होने की जानकारी पाकिस्तान को दे दी है. इसके बावजूद उसकी रिहाई अटकी हुई है.

ऐसे पहुंचा पाकिस्तान

15 वर्षीय जितेंद्र अर्जुनवार ने अपनी मां से झगड़ा होने के बाद घर छोड़ दिया और गलती से पाकिस्तान पहुंच गया था. किशोर ने खोखरापार के पास सीमा पार की और पाकिस्तानी रेंजरों ने उसे चेताने के बाद चौक के पास गिरफ्तार कर लिया था. पाकिस्तान पुलिस ने उस समय मीडिया को बताया था कि जितेंद्र उर्दू और अंग्रेजी दोनों ही भाषाएं बोलता है. पुलिस को बताया कि उसका नाम जितेंद्र अर्जुनवार है और उसके पिता का नाम एशुर्या अर्जुनवार है. वह मध्य प्रदेश का रहने वाला है.

पुलिस के अनुसार जितेंद्र ने बताया था कि उसका अपनी मां से झगड़ा हुआ था और उसके बाद उसने अपना घर छोड़ दिया था. वह भारत में इधर-उधर भटकता रहा. करीब एक महीने बाद वह एक ऐसे स्थान पर पहुंचा, जहां उसने कंटीले तार देखे. उसने सोचा कि कंटीले तार क्षेत्र में मवेशियों को रोकने के लिए लगाया गया है. उसने तार के नीचे मिट्टी खोदी और उसके नीचे से निकलकर अपनी यात्रा जारी रखी. जब उसे प्यास लगी तो वह एक ऐसे स्थान पर पहुंचा जहां कुछ रोशनी थी. वहां पहुंचने पर उसने कुछ लोगों को सेना की वर्दी में देखा. उन लोगों ने उसे पानी दिया और उसके बारे में पूछा तब उसने अपनी पहचान बताई.