Breaking News

वेतन आयोग की सिफारिशों से बजट पर पड़ेगा असर, सरकार को करनी पड़ेगी खर्च में कटौती

ArunJaitleyनई दिल्ली। केंद्र सरकार पर सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान में इजाफे, महंगे खाद्यान्न और कृषि योजनाओं के चलते 16 अरब डॉलर यानी एक लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने की संभावना है। इसके चलते आगामी बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली को पूंजीगत व्यय में कटौती करनी पड़ सकती है। वित्त मंत्रालयों के अधिकारियों और अर्थशास्त्रियों ने यह आकलन जताया है। अरुण जेटली पर खर्च में इजाफे को लेकर दबाव अर्थव्यवस्था में असंतुलन की स्थिति पैदा कर सकता है।
चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अरुण जेटली की पोटली से यदि सौगातें निकलती हैं तो आने वाले दिनों में महंगाई भी बढ़ सकती है। इसके अलावा पीएम मोदी की ओर से प्रस्तावित टैक्स और श्रम सुधारों का अजेंडा भी पिछड़ सकता है। यही नहीं अरुण जेटली को रेलवे, सड़क, बंदरगाह और ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भी आवंटन में कमी करनी पड़ सकती है, जबकि इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार मोदी सरकार का बड़ा एजेंडा रहा है।

कैपिटल इकॉनमिक्स के शीलन शाह ने कहा, ‘यह बजट बहुत क्रांतिकारी या प्रेरणादायी नहीं रहने वाला है। इससे पूंजीगत व्यय को लेकर दबाव पड़ने वाला है।’ शाह ने कहा कि यदि सैलरी मे इजाफे का प्रस्ताव लागू होता है तो बजट पर बड़ा दबाव रहेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली 29 फरवरी को अपना तीसरा बजट पेश करेंगे। माना जा रहा है कि अरुण जेटली सरकारी आयोग की ओर से एक करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में इजाफे और पेंशन में 23.5 पर्सेंट की बढ़ोतरी की सिफारिश को लागू करने की ओर बढ़ सकते हैं।

आर्थिक जानकारों का मानना है कि यदि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होती हैं तो महंगाई दर दोहरे अंक को पार कर सकती है। हालांकि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के उपायों के चलते फिलहाल यह 6 पर्सेंट से नीचे है। बजट की तैयारियों से सीधे तौर पर जुड़े अफसरों ने कहा कि खर्चों की पूर्ति और घाटे की भरपाई के लिए अरुण जेटली सेवाओं और पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने का फैसला ले सकते हैं। इसके बावजूज उनके पास विदेशी निवेश पर टैक्स के नियमों में कुछ ढील देने का विकल्प खुले होंगे। बजट से जुड़े अफसरों का कहना है कि पीएम मोदी भी बजट की तैयारियों में पूरी दिलचस्पी ले रहे हैं।