नई दिल्ली। प्रवीण तोगडि़या ने अभी हाल ही में अपने एनकाउंटर की साजिश रचने का आरोप लगाया था। राजस्थान पुलिस की दबिश के बाद उन्होंने जो ड्रामा रचा था वो विश्व हिंदू परिषद को कतई रास नहीं आ रहा है। प्रवीण तोगडि़या ने इशारों ही इशारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला किया था। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने प्रवीण भाई तोगडि़या से दूरियां बढ़ा ली हैं। विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य स्वामी चिन्मयानंद का कहना है कि प्रवीण तोगडि़या का अब विश्व हिंदू परिषद से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अगर विहिप का अब उनसे कोई नाता नहीं रहा तो फिर वो खुद को कैसे इसका कार्यकारी अध्यक्ष बता सकते हैं। ऐसे में क्या माना जाए कि तोगडि़या नियमों के विरुद्ध इस पद पर बैठे हुए हैं। या फिर आने वाले दिनों में इस संगठन से प्रवीण भाई तोगडि़या की विदाई किसी और तरीके से ही की जाएगी। क्योंकि स्वामी चिन्मयानंद का बयान तो कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे हैं।
उधर, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने प्रवीण तोगडि़या से दूरियां बना ली हैं। इलाहाबाद में होने वाले संत सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि फिलहाल प्रवीण तोगडि़या का विहिप से कोई संबंध नहीं है। उनका कहना है कि हमारे यहां अनुशासनहीनता के लिए कोई भी स्थान नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने प्रवीण तोगडि़या के विहिप में चुनाव करवाने के फैसले को भी गलत करार दिया। स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि संत सम्मेलन में ना तो प्रवीण तोगडि़या के नाम पर कोई चर्चा होगी और ना ही हम ऐसा करने देंगे। इस मौके पर स्वामी चिन्मयानंद ने राममंदिर के मसले पर भी बयान दिया। उनका कहना है कि संत सम्मेलन में राम मंदिर पर कोई भी प्रस्ताव नहीं आएगा और ना ही पास होगा। स्वामी चिन्मयानंद का कहना है कि ये मामला अभी कोर्ट में लंबित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी अदालत के फैसले का इंतजार है।
उन्होंने कहा कि जैसे ही राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आता है हमारी सरकार मंदिर निर्माण में हमारी मदद करेगी। स्वामी चिन्मयानंद के मुताबिक पहले की सरकारें इस काम में बाधा डालती थीं। लेकिन, मोदी सरकार में ऐसी कोई दिक्कत नहीं है। इसलिए सभी को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए। इलाहाबाद में आयोजित संत सम्मेलन में संतों के सम्मान के साथ-साथ इस बार मुख्यमंत्री के लिए आशीर्वाद का भी कार्यक्रम रखा गया है। ताकि संत समाज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना आशीर्वाद दे सकें। माघ मेले में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन काफी पहले से होते रहे हैं। लेकिन, इस बार सभी की निगाहें प्रवीण तोगडि़या के मामले पर भी टिकीं हुईं हैं। माना जा रहा है कि तोगडि़या ने राजस्थान और गुजरात की पुलिस पर अपने एनकाउंटर की साजिश रचने का आरोप लगाकर केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकारों को घेरने की कोशिश की।
प्रवीण तोगडि़या को वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आलोचक माना जाता है। हालांकि पहले दोनों की अच्छी दोस्ती थी। लेकिन, गुजरात में 2007 के विधानसभा चुनाव के बाद हालात बदल गए थे। आरोप है कि तोगडि़या ने उस वक्त भी बीजेपी और मोदी के खिलाफ लामबंदी की थी। आरोप है कि इस बार के भी गुजरात विधानसभा के चुनाव में प्रवीण तोगडि़या ने काफी बड़ा खेल किया था। ये बात ना तो संघ परिवार को रास आई और ना ही विहिप के दूसरे नेताओं को। हालांकि तोगडि़या चाहते हैं कि विहिप में उनकी सत्ता बरकरार रहे। इसलिए कार्यकाल खत्म होने के बाद भी वो लामबंदी कर अपने पद पर जमे हुए हैं। जबकि विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य स्वामी चिन्मयानंद कह चुके हैं कि उनका विहिप से कोई ताल्लुक नहीं है। दरसअल, ये पूरा विवाद उस वक्त खड़ा हुआ था जब एक पुराने केस में राजस्थान की पुलिस अदालती वारंट की तामील कराने अहमदाबाद पहुंची थी। ये वारंट प्रवीण तोगडि़या के खिलाफ था।