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विदेशी कंपनियों से जुड़े ‘दो लोगों’ को कैसे मिल गई GST नेटवर्क बोर्ड में एंट्री

नई दिल्ली। प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट GST एक बार फिर विवादों में है। इस बार GST को लेकर आरोप विपक्ष ने नहीं बल्कि भारत सरकार के पूर्व सचिव ई.ए.एस सर्मा ने लगाए है। सर्मा आंध्र प्रदेश कैडर के आईएएस अफसर रहे हैं। सर्मा ने आरोप लगाए हैं कि जीएसटी को सेवा प्रदान करने वाली एजेंसी GSTN (गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क) के दो डायरेक्टर विदेशी कंपनियों में भी डायरेक्टर हैं। उनका कहना है कि विदेशी कंपनियों से जुड़े लोगों को GSTN बोर्ड में लाना देश की सुरक्षा के साथ समझौता है।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को लिखे एक पत्र में सर्मा ने खुलासा किया है कि GSTN के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में शामिल भावेश सी. ज़ावेरी- ‘स्विफ्ट इंडिया डोमेस्टिक सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड’ ( Swift India Domestic Services Pvt Ltd ) कंपनी के भी निदेशक है। सर्मा का कहना है कि यह कंपनी एक विदेशी कंपनी का हिस्सा है। जबकि जीएसटीएन में दूसरे डायरेक्टर आनंद सिन्हा, केकेआर अर्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (KKR Arc India Pvt Ltd) के निदेशक हैं, और यह भी एक विदेशी स्वामित्व वाली कंपनी है।

सर्मा ने वित्त मंत्री को लिखा है कि आपके मंत्रालय को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से परामर्श करके इनकी वास्तविक स्थिति का पता करना चाहिए। साथ ही सर्मा ने अपने पत्र में लिखा है कि जब आपके मंत्रालय ने जीएसटीएन का गठन किया और इसके निदेशक बनाने का निर्णय लिया, तब आप GSTN में गैर-सरकारी कंपनियों अधिक हिस्सेदारी देने की इजाजत पर विचार करने में विफल रहे। सर्मा का कहना है कि आप प्रत्येक निदेशक की पृष्ठभूमि को जानने में भी असफल रहे।

जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट जिसे आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा टैक्स सुधार कहा जा रहा है, उसमे इतनी बड़ी असावधानी गंभीर चिंता का विषय है। किसी ऐसे व्यक्ति को जीएसटीएन का डायरेक्टर बनाना जो किसी विदेशी कंपनी का हिस्सा हो, यह सुरक्षा के लिहाज से भी गंभीर मामला है क्योंकि जीएसटीन में देश की टैक्स व्यवस्था से जुडी तमाम जानकारियां मौजूद रहती हैं।

जीएसटीएन में किसकी हिस्सेदारी 

GSTN एक गैर-लाभकारी निजी लिमिटेड कंपनी है। इसमें 51 प्रतिशत हिस्सेदारी पांच निजी संस्थानों- एचडीएफसी बैंक लि. (10 प्रतिशत), एचडीएफसी लि. (10 प्रतिशत), आईसीआईसीआई बैंक (10 प्रतिशत), एनएसई स्ट्रैटजिक इनवेस्टमेंट कारपोरेशन लि. (10 प्रतिशत) और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस (11 प्रतिशत) की है।

केंद्र सरकार की इसमें 24.9 प्रतिशत जबकि राज्य सरकारों एवं दो केंद्र शासित प्रदेशों, राज्य के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समति की संयुक्त रूप से 24.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों तथा अप्रत्यक्ष कर कर्मचारी संगठनों ने जीएसटीन के प्रबंधन की बहुलांश हिस्सेदारी निजी इकाइयों के पास होने को लेकर चिंता जताई है।