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वन बेल्ट वन रोड पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत की उच्च स्तरीय भागीदारी चाहता है चीन

नई दिल्ली। चीन वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट पर मई में होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत की उच्च स्तरीय भागीदारी चाहता है। चीन इस महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का समर्थन हासिल करने के लिए यह इस सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है।

गौरतलब है कि वन बेल्ट वन रोड के तहत चीन यूरोप, एशिया और अफ्रीका में आपसी संपर्क स्थापित करने की पहल कर रहा है। हालांकि, भारत इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर सावधानी बरत रहा है। खासकर इसलिए कि इसमें पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरने वाला चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर भी शामिल है।

इसके अलावा दिल्ली ने वन बेल्ट वन रोड पर इसलिए भी रजामंदी नहीं जताई है क्योंकि पेइचिंग इसके जरिए क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। भारत ने चीन-पाक इकनॉमिक कॉरिडोर के खिलाफ लगातार विरोध दर्ज कर रहा है। भारत की नजर में यह कॉरिडोर संप्रभुता के सवाल को चुनौती देने वाला है।

पेइचिंग ने हाल ही में दिल्ली को संकेत दिया था कि वह वन बेल्ट वन रोड के विचार पर एक सम्मेलन आयोजित करेगा। उसने इस सम्मेलन में भारत से ‘उच्च स्तरीय अधिकारी’ भेजने की भी अपील की थी। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने इशारों-इशारों में कहा कि दिल्ली ने इस अपील पर चीन को कोई भरोसा नहीं दिलाया है।

सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली वन बेल्ट वन रोड को लेकर अब भी असंतुष्ट है। इसकी सबसे बड़ी वजह इस प्रॉजेक्ट में चीन-पाक इकनॉमिक कॉरिडोर का शामिल होना है जो शियानजिंग प्रांत के काशगर को बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ेगा। पाकिस्तान आर्मी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल में कहा था कि भारत इस कॉरिडोर का विरोध करना बंद कर इसमें पहल में सहभागी बन जाए। इसके बाद चीन ने भी इशारा किया कि चीन-पाक इकनॉमिक कॉरिडोर में भारत की सहभागिता को लेकर उसका नजरिया बिल्कुल सकारात्मक है।

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के बीच फिर से आर्थिक संपर्क बनाने के लिए साल 2013 से ही ’21वीं सदी का समुद्री सिल्क रोड’ की बात कर रहे हैं। इस आइडिया के पीछे चीन की मंशा अपने समुद्री तट को दक्षिण एशिया, खाड़ी और अफ्रीका के पूर्वी तट से जोड़ना है। चीनी राष्ट्रपति ‘सिल्क रोड इकनॉमिक बेल्ट’ का प्रस्ताव भी रख रहे हैं जिसमें मध्य एशिया के जरिए चीन और भूमध्य के संपर्क सूत्र को तरोताजा करना है।

यही दोनों परियोजनाओं अब एक साथ ‘वन बेल्ट वन रोड’ या ‘बेल्ट रोड इनिशटिव’ का नाम दिया गया है और चीन की सरकार पिछले कुछ सालों से इसके राह के रोड़े हटाने में लगी है ताकि इसे सफल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल किया जा सके। इसे शी के सपने की परियोजना के रूप में देखा जा रहा है।