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लोकायुक्त मामले पर सुप्रीम कोर्ट की अखिलेश को फटकार, ‘यूपी को हम देख लेंगे’

Akhilesh3नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जज वीरेंद्र सिंह को यूपी का लोकायुक्त नियुक्त करने के मामले में बुधवार को यूपी कीअखिलेश सरकार को बेहद कड़ी चेतावनी दी। सुप्रीम कोर्ट ने वीरेंद्र सिंह को नियुक्त करने का आदेश वापस लेने के लिए दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि वह इस पर अपना निर्णय बाद में सुनाएगा।

अखिलेश सरकार को फटकारते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा, ‘अगर हमें लगेगा कि वीरेंद्र सिंह की नियुक्ति उचित नहीं है तो हम उन्हें वापस बुला लेंगे। इसे हमारे ऊपर छोड़ दीजिए।’

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह अब लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला फिर से मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की कमिटी के पास नहीं भेजेगा, क्योंकि यह कमिटी करीब 20 महीने तक लोकायुक्त नियुक्त करने के उसके आदेशों पर अमल करने में विफल रही।

इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस प्रफुल्ल सी पंत ने स्पष्ट किया कि वह जस्टिस सिंह को लोकायुक्त नियुक्त करने का आदेश उस समय तक वापस नहीं लेने जा रहे जब तक ऐसा करने के लिए बाध्यकारी परिस्थितियां नहीं हों।

बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता टी. आर. अंद्यारुजिना से कहा कि वह हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा लगाए इस आरोप को सिद्ध करें कि वह इस पद पर सिंह के नाम के खिलाफ थे। इसके साथ ही बेंच ने कहा, ‘जब तक हमारे विवेक को झकझोरने वाले बाध्यकारी कारण नहीं होंगे, हम अपना आदेश वापस नहीं लेंगे।’

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 16 दिसंबर को अपने सांविधानिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए जस्टिस सिंह को लोकायुक्त नियुक्त किया था। कोर्ट ने कहा था कि सांविधानिक प्राधिकार- मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस उत्तर प्रदेश के भ्रष्टाचार निरोधक संस्था के मुखिया की नियुक्ति करने के उसके आदेशों का पालन करने में विफल रहे हैं।

शीतकालीन छुट्टी के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सच्चिदानंद गुप्ता की नई याचिका पर सुनवाई की थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि एसपी सरकार ने सिंह के बारे में ‘तथ्यों को छिपाया’ और उसने शीर्ष अदालत के साथ ‘छल’ किया।

राज्य सरकार ने भी कोर्ट से कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक वह जस्टिस सिंह को लोकायुक्त पद की शपथ दिलाने का समारोह आयोजित नहीं करेगी। कोर्ट ने नई याचिका का संज्ञान लिया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि इस नियुक्ति के तुरंत बाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने राज्यपाल राम नाइक को पत्र लिखकर इस बात पर अप्रसन्नता व्यक्त की कि राज्य सरकार ने इस तथ्य का खुलासा नहीं किया कि सिंह के नाम पर उनकी कुछ आपत्तियां थीं।

याचिका में जस्टिस सिंह को लोकायुक्त नियुक्त करने का यूपी सरकार का 18 दिसंबर का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया गया था।