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लखनऊ पूर्व: सियासी घमासान शुरू, सबके अपने दावे

Tandonलखनऊ। विधान सभा चुनाव 2017 की तैयारी में सभी पार्टियां जुट गई हैं। लखनऊ पूर्व सीट पर चुनावी घमासान शुरू हो गया है। यहां समाजवादी पार्टी की तरफ से डॉ. श्वेता सिंह और बीएसपी की प्रत्याशी सरोज कुमार शुक्ला हैं। बीजेपी के मौजूदा एमएलए का भी दावा मजबूत माना जा रहा है। इस सीट पर 1991 से बीजेपी जीतती रही है। 2012 से पहले तक यहां शहरी क्षेत्र ही था। महोना का ग्रामीण इलाका इसमें नहीं था। महोना से 2007 में बीएसपी के नकुल दुबे जीते थे और समाजवादी पार्टी के भी प्रत्याशी जीतते रहे हैं। परिसीमन के बाद लखनऊ पूर्व के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। 2012 में कलराज मिश्र और उपचुनाव 2014 में आशुतोष टंडन गोपाल यहां से जीते हैं।

दूसरों से कोई तुलना नहीं
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल जी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल टंडन लखनऊ पूर्व सीट से विधायक हैं। माना जा रहा है कि टंडन ही बीजेपी के अगले प्रत्याशी होंगे। वह कहते हैं कि पार्टी मुझे मौका देती है तो मैं अपने काम को लेकर ही जनता के बीच जाऊंगा। विधायक निधि से और अन्य माध्यमों से क्षेत्र के लिए जो काम करा सकता था, वह करवाए। विधानसभा में भी मैंने कई मुद्दे उठाए। कई काम सरकार से भी मंजूर करवाए हैं। इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में रोजाना जनता की समस्याएं सुनता हूं। दूसरे प्रत्याशियों से मैं अपनी कोई तुलना नहीं करना चाहता। उन्हें अभी जनता के बीच जाना होगा और अपना परिचय कराना होगा।

किचन से कॉर्पोरेट तक की नब्ज है पता
डॉ. श्वेता सिंह का राजनीतिक बैकग्राउंड इतना है कि मां मालती सिंह तीन बार पार्षद रही हैं। पिता वीके सिंह केजीएमयू के प्रफेसर रहे हैं। श्वेता कहती हैं कि बीजेपी भले ही यहां से कई बार जीतती रही है लेकिन जनता यह भी देखती है कि उन्होंने किया क्या? मेरा अपना सामाजिक जीवन रहा है। महिलाओं और युवाओं के लिए काम किया है। कॉर्पोरेट के बीच भी रही हूं। किसकी क्या जरूरत है, यह मालूम है। किचेन से लेकर कॉर्पोरेट तक की जरूरत की जानकारी मुझे है। हमारी पार्टी के विकास के काम भी लोगों को बताने के लिए काफी हैं। पार्टी ने मुझ पर विश्वास जताया, इसके लिए मैं अपने बड़े नेताओं की आभारी हूं।

कोई किसी का गढ़ नहीं होता
पेशे से वकील और लखनऊ बार काउंसिल के दो बार अध्यक्ष रहे सरोज कुमार शुक्ला को बीएसपी ने दो साल पहले ही पूर्वी विधान सभा का प्रभारी बना दिया था। वह कहते हैं कि कोई भी क्षेत्र किसी पार्टी का गढ़ नहीं होता। जो जनता के बीच रहता है और काम करता है, उसे पसंद किया जाता है। मैं यहीं पैदा हुआ, पढ़ाई हुई। मेरे व्यवहार की वजह से ही दो बार बार काउंसिल का अध्यक्ष बना। यहां की जनता के बीच भी मैं हर समय रहता हूं। मैं तो किसी का फोन आते ही समझ लेता हूं कि किसे क्या जरूरत है? मैं तो खुद को नेता नहीं, बल्कि कार्यकर्ता मानता हूं।

मैं नहीं लड़ूंगा चुनाव
कांग्रेस ने अभी कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया। कई युवा नेता यहां से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। पिछली बार प्रतयाशी रहे रमेश श्रीवास्तव चुनाव नहीं लड़ेंगे। रमेश श्रीवास्तव बताते हैं कि मैंने तो खुद ही चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। इस बारे में पार्टी को भी लिखकर दे दिया है। अब पार्टी जिसको भी प्रत्याशी बनाएगी, मैं उसका समर्थन करूंगा। ऐसे में कांग्रेस की तस्वीर प्रत्याशी के आने के बाद ही तय होगी।