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राष्ट्रपति चुनावः ‘दुश्मनी’ भुला सोनिया की बैठक में जुटे नेता

नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को विपक्षी पार्टियों के साथ एक अहम बैठक की। इस मीटिंग में कांग्रेस के अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियों ने शिरकत की। खास बात यह है कि सोनिया और उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की कवायद रंग लाती नजर आई। क्षेत्रीय राजनीति में ‘दुश्मन’ माने जाने वाली पार्टियों को एक मंच पर लाने की सोनिया की कोशिश कामयाब रही। यूपी से बीएसपी प्रमुख मायावती और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के अलावा पश्चिम बंगाल से तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी और लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी और अन्य लेफ्ट नेताओं की एक साथ मौजूदगी राजनीतिक नजरिए से बेहद अहम मानी जा रही है।

नीतीश के न पहुंचने पर अटकलें
सोनिया की मीटिंग में कांग्रेस के अलावा आरजेडी, जेडीयू, एसपी, बीएसपी, टीएमसी, जेएमएम, केरल कांग्रेस, नैशनल कॉन्फ्रेंस, एनसीपी, डीएमके, एआईयूडीएफ, आरएसपी, ऑल इंडिया मुस्लिम लीग, सीपीएम, सीपीआई, जेडीएस के प्रतिनिधि पहुंचे। खास बात यह है कि इस मीटिंग में आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को न्योता नहीं दिया गया था। वहीं, बिहार के सीएम नीतीश कुमार की जगह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव पहुंचे। भ्रष्टाचार के नए आरोपों में घिरे आरजेडी प्रमुख लालू यादव की मौजूदगी में नीतीश के गायब रहने पर राजनीतिक अटकलें लगना तो तय था। हालांकि, जेडीयू नेता पवन वर्मा ने किसी विवाद को सिरे से खारिज किया है।

20 मिनट देर से आए अखिलेश

बता दें कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यह साफ कर दिया है कि दूसरे कार्यकाल में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। इस वजह से इस मीटिंग को बहुत अहमियत मानी जा रही है। समाजवादी पार्टी की ओर से पहले राम गोपाल यादव और नरेश अग्रवाल के पहुंचने की वजह से इस बात की अटकलें लगने लगी थीं कि शायद अखिलेश नहीं पहुंचेंगे, लेकिन यूपी के पूर्व सीएम कार्यक्रम में 20 मिनट की देरी से पहुंचे। मीटिंग में बीएसपी प्रमुख मायावती के साथ सतीश मिश्रा भी मौजूद थे। वहीं, कार्यक्रम में सबसे पहले पहुंचने वालों में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी थीं। वह तो मेजबान कांग्रेस के नेताओं से भी पहले पहुंच गई थीं।

और कौन-कौन आया
कांग्रेस की ओर से सोनिया के अलावा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद जैसे नेता मौजूद थे। सीपीएम से पी करुणाकरन और सीपीआई से डी राजा, एआईयूडीएफ से बदरुद्दीन अजमल, केरल कांग्रेस के जोस के मनी, जेएमएम से राज्यसभा सांसद संजीव कुमार, आरजेडी से लालू यादव, डीएमके से कनिमाई, नेशनल कॉन्फ्रेंस से उमर अब्दुल्ला, एनसीपी से शरद पवार, जेडीयू से शरद यादव और केसी त्यागी, आरएसपी से एनके प्रेमचंद्रन आदि नेता पहुंचे।

बीजेपी ने बताया, बेनामी प्रॉपर्टी अलायंस
दरअसल, कांग्रेस प्रेजिडेंट सोनिया गांधी ने यह लंच मीटिंग ‘लाइक माइंडेड’ पार्टियों को राष्ट्रपति कैंडिडेट पर आमराय बनाने के लिए बुलाई थी। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस की यह बैठक इस निष्कर्ष पर खत्म हो सकती है कि सीनियर लीडरों की एक ”उप कमिटी बनाई जाए जो राष्ट्रपति चुनाव पर सरकार की किसी पहल पर कदम उठाए या फिर विपक्षी कैंडिडेट पर फैसला ले। बीजेपी के बढ़ते ग्राफ के बीच राष्ट्रीय राजनीति में हाशिए पर जा रही विपक्षी पार्टियां राष्ट्रपति कैंडिडेट के जरिए विचारधारा से जुड़ा बड़ा मेसेज देना चाहती हैं। वे इस चुनाव को ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ बनाम ‘असिष्णु विचारधारा’ की लड़ाई के तौर पर पेश करना चाहती हैं। यूपी चुनाव में बीजेपी को मिली धमाकेदार जीत के मद्देनजर विपक्षी पार्टियां राष्ट्रीय स्तर पर टक्कर लेने के लिए एक ‘महागठबंधन’ की संभावना भी तलाश रही हैं। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों के सामने आपसी मतभेदों को भुलाना भी एक अहम चुनौती होगी। वहीं, बीजेपी के जीएल नरसिम्हा ने कहा कि उनकी पार्टी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने विपक्षी नेताओं के इस गठजोड़ को बीपीए (बेनामी प्रॉपर्टी अलायंस) करार दिया है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले से तय कार्यक्रम के चलते इस बैछक में शामिल नहीं हो रहे हैं. उनकी जगह उन्हीं की पार्टी के नेता शरद यादव प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. विपक्षी दलों की इस मुलाकात में राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार उतारने की संभावना तलाशी जाएगी.\