नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मसला बेशक सुप्रीम कोर्ट में लंबित हो लेकिन, इस पर राजनीति जारी है। AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इस मसले को लेकर एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर निशाना साधा है। असदुद्दीन ओवैसी संघ परिवार के उस यकीन से परेशान नजर आ रहे हैं जो राम मंदिर निर्माण को लेकर है। असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि जब राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो फिर संघ परिवार के लोग अदालत के फैसले से पहले ही मंदिर निर्माण की तारीख की घोषणा कैसे कर सकते हैं। ओवैसी का कहना है कि आखिर आरएसएस वालों ने मंदिर निर्माण की तारीख 17 अक्टूबर 2018 कैसे दे दी। मंदिर निर्माण की तारीख को लेकर ओवैसी ने अब इस पर सियासत शुरु कर दी है। इसके अलावा उन्होंने इस मामले में कई और सवाल भी उठाए।
असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि आखिर आरएसएस को इतना यकीन कैसे है कि राम मंदिर और बाबी मस्जिद के विवाद में फैसला उनके ही पक्ष में आएगा। इसके साथ ही ओवैसी ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी पर विवादित ढांचा ढहाये जाने के मामले में चल रहे आपराधिक साजिश के मुकदमे पर भी सवाल उठाए। ओवैसी का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली है कि आडवाणी और जोशी पर चल रहे आपराधिक मामले में अब तक कोई भी गवाह आगे नहीं आया है। अब तक इस केस में जो गवाह सामने आए भी हैं वो अपने बयान से मुकर गए हैं। यानी कुल मिलाकर इस मसले पर एक बार फिर से राजनीति गरमा गई है। दरअसल, इस पूरे विवाद ने उस वक्त जन्म लिया जब संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अभी हाल ही के दिनों में एक कार्यक्रम में ये कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर राम मंदिर का ही निर्माण होगा।
मोहन भागवत ने इस कार्यक्रम में कहा था कि बहुत ही जल्द राम मंदिर के ऊपर भगवा झंडा लहराएगा। इसके साथ ही उनका कहना था कि विवादित स्थल पर मंदिर के अवाला कोई दूसरा ढांचा नहीं सकता है। इसके साथ ही विहिप भी लगातार ये दावा करता रहा है कि अक्टूबर 2018 से मंदिर निर्माण शुरु हो जाएगा। इन्हीं बातों को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने संघ के दावों पर सवाल खड़े किए हैं और पूछा है कि जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो फिर संघ फैसले को लेकर कैसे इतना आस्वस्त हो सकता है। अदालत का फैसला आने से पहले कैसे मंदिर निर्माण की तारीखों का एलान किया जा सकता है। इससे पहले भी ओवैसी संघ प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साध चुके हैं। पहले भी ओवैसी ने ये सवाल किया था कि आखिर मोहन भागवत किस हैसियत से ये दावा कर रहे हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का ही निर्माण होगा।
इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर पर भी निशाना साध चुके हैं। ये उस वक्त की बात है जब श्रीश्री रविशंकर ने अपनी ओर से राममंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद में मध्यस्थता की कोशिश की थी। तब ओवैसी ने सवाल किया था कि आखिर श्रीश्री रविशंकर किस हैसियत से मध्यस्थता की पहल कर रहे हैं। वो इस मामले में पक्षकार भी नहीं हैं। ऐसे में उनकी मध्यस्थता का कोई भी कानूनी आधार नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने श्रीश्री पर झूठ बोलने का भी आरोप लगाया था। उनका कहना था कि श्रीश्री दावा कर रहे हैं कि इस मामले में उन्होंने सभी पक्षकारों से बात की। जबकि ऐसा नहीं है। ओवैसी का कहना था कि श्रीश्री इस मामले में देश को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड समझौते के पक्ष में था। जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड इसके लिए तैयार ही नहीं था।