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रामविलास पासवान ने आरक्षण को लेकर दिए गए RSS के बयान का किया विरोध, कहा- खैरात नहीं

पटना। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य के आरक्षण को लेकर शुक्रवार को दिए गए बयान की चौतरफा निंदा हो रही है। गैर बीजेपी दलों ने उनके बयान का विरोध किया है। अब केंद्रीय मंत्री और दलित राजनीति के बड़े चेहरों में से एक लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवाल ने भी खिलाफत के सुरों से सुर मिलाया है।

मनमोहन वैद्य के बयान पर उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि आरक्षण बाबा साहेब आम्बेडकर और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बीच हुए ‘पूना पैक्ट’ समझौते के तहत लागू किया गया था। यह कोई खैरात नहीं है।

रामविलास पासवान ने ट्वीट के जरिए लिखा,’पीएम नरेंद्र मोदी ने साफतौर पर स्पष्ट किया है कि जब तक वह जिंदा हैं, तब तक देश में आरक्षण लागू रहेगा। आरक्षण दान नहीं है। आज देश की 85 फीसदी जनता को आरक्षण का लाभ मिलता है और ऐसे में इसे खत्म कर देना नामुमकिन है।’ ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी विरोधी दल वैद्य के बयान को विधानभा चुनावों में मुद्दा भी बना सकते हैं।

इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती, कांग्रेस से लेकर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी वैद्य के बयान की तीखी आलोचना की थी। लालू प्रसाद यादव ने वैद्य की टिप्पणी पर कहा था,’आरक्षण का अधिकार छीनना किसी के बस का नहीं है। ऐसा लगता है बीजेपी ने बिहार चुनाव से कोई सबक नहीं लिया है।’

बता दें कि मनमोहन वैद्य ने आरक्षण पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि आरक्षण से अलगाव पैदा होता, इसे खत्म होना चाहिए। हालांकि, वैद्य ने इसकी भी वकालत की है कि जबतक गैरबराबरी है तब तक आरक्षण जारी रहे। उन्होंने कहा था कि आरक्षण को खत्म करना चाहिए और इसकी जगह ऐसी व्यवस्था लाने की जरूरत है जिसमें सबको समान अवसर और शिक्षा मिले।

उन्होंने कहा कि अगर लंबे समय तक आरक्षण जारी रहा तो यह अलगाववाद की तरफ ले जाएगा। संघ प्रचारक ने कहा, ‘किसी भी राष्ट्र में हमेशा के लिए ऐसे आरक्षण की व्यवस्था का होना अच्छी बात नहीं है। सबको समान अवसर और शिक्षा मिले।’ हालांकि, वैद्य ने साथ में यह भी कहा कि जब तक समाज में भेदभाव रहे और जब तक सबको समान अवसर न मिले, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।