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योजना पर योजना, अमल भी तो है जरूरी

राजेश श्रीवास्तव
योगी सरकार के 1०० दिन आज पूर हो रहे हैं। इस दौरान सरकार ने जो भी योजनाओं की मुनादी विधानसभा चुनाव के दौरान की थी। लगभग सभी का ऐलान कर दिया है। चाहे किसानों की कर्जमाफी हो, एंटी रोमियो अभियान हो या फिर गड्ढामुक्त सड़क हो, बिजली की सरचार्ज माफ करना हो, भ्रष्टाचार मुक्त शासन हो या फिर अब महिला सहायता और एंटी भूमाफिया योजना लांच करने की बात हो। ऐलान सभी का हो गया लेकिन इन योजनाओं पर अभी पूरी तरह से अमल होता नहीं दिख रहा है। न सड़कें पूरी तरह से गड्ढा मुक्त हो पायी हैं और न ही कर्जमाफी योजना की किस्त जमा हो पायी हो, हां योजनाओं पर काम जरूर कुछ-कुछ शुरू हो गया है। पूर्व की अखिलेश सरकार ने भी योजनाओं पर योजनाओं का ऐलान किया था। आध्ो-अधूरे शिलान्यास और लोकार्पण कर जनता को लुभाने का काम किया था लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा था।
योगी सरकार के गठन के समय से ही लोगों की अपेक्षाएं ज्यादा ही थीं। इन पर प्रभाव तब और बढ़ गया जब मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने शपथ ली। एंटी रोमियो अभियान में केवल दो-तीन दिन ही सख्ती दिखायी दी लेकिन अब स्थिति जस की तस हो गयी है। आपको 1०9० और लोहिया पार्कों में फिर से युगल जोड़े अपने में पूरी तरह तल्लीन दिखायी पड़ जाएंगे। जो सरकार का भय मनचलों में पैदा हुआ था वह कम हुआ है। इसी तरह कानून-व्यवस्था भी पूरी तरह पटरी पर नहीं आ सकी है। हालांकि सरकार के कार्यकाल का पैमाना 1०० दिन नहीं हो सकता है। 1०० दिन कामकाज की समीक्षा के लिए बेहद कम हैं। लेकिन बात भाजपा की हो तो वह दिन भी याद आ जाते हैं जब केजरीवाल सरकार से केंद्र सरकार ने पूछा था कि बिजली बिल की माफी कितने समय में होगी। एक घंटे, दो घंटे एक दिन या एक सप्ताह। ऐसे में सरकार तो जवाब देह होगी भी। सरकार के पास उपलब्धियां बताने के लिए योजनाओं की लंबी-चौड़ी सूची जरूर हाथ में है लेकिन सरकार को चाहिए कि वह इन योजनाओं पर पूरी तरह से अमल करती जरूर दिख्ो।
एंटी भूमाफिया योजना का अगर ठीक से पालन हो जाए तो सरकार को कई अरबों रुपये की जमीन हाथ लग सकती है। दूर जाने की जरूरतत नहीं है। पांच कालीदास मार्ग की एक-दो किमी की रेंज में ही तमाम सरकारी जमीनों पर लोगों ने अपने मकान तामीर करा लिये हैं। जियामऊ बंध्ो के पास से लेकर 1०9० चौराहे तक की बंध्ो की जमीन के आसपास तमाम इमारतें तामीर हो गयी हंै। योजनाओं की जरूरत ही नहीं सरकार के अधिकारियों की नजरों में सब कुछ है। पूर्व की सरकार में तमाम इमारतों को खड़ा कर लिया गया है। अब यह इस सरकार में हटती हैं या नही, यह देखना सरकार का काम है। केवल यही क्यों सड़कों को पूरी तरह से गड्ढामुक्त अभी नहीं किया जा सका है। राजधानी की ही तमाम सड़कें आपको गड्ढे में मिलेंगी। दूर जाने की जरूरत नहीं है भाजपा कार्यालय के आसपास की सड़कों पर ही आपको गड्ढे नजर आयेंगे। यह सब तो महज उदाहरण है। जरूरत है आम लोगों में सरकार के इकबाल को पैदा करने की । सरकार अगर नयी योजनाएं न भी बनाये और केवल पुरानी योजनाओं पर ठीक से अमल करा दे तो आम आदमी को अच्छे दिनों का एहसास होने लगेगा। नयी योजनाओं की मुनादी भी कम आकर्षक नहीं है। इसे खारिज नहीं करना है यह तो विकास के सोपान की एक और अहम सीढ़ी हो सकती हैं। लेकिन इन सब पर अमल की भी जरूरत है।