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योगी सरकार में राघवेन्द्र विक्रम का ठाकुर होना उनके लिये बरदान साबित हो रहा है

लखनऊ। कासगंज की घटना के संबंध में बरेली के जिलाधिकारी राघवेन्द्र विक्रम सिंह के कासगंज में हुए दंगे के बारे में ऐसी टिप्पणी करने के पहले भी बरेली में भी हुए दंगे के बारे में भी विवादित  टिप्पणी कर चुके हैं . हांलाकि, किसी भी महत्वपूर्ण मामले में चटपट फैसला लेने वाले मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ कुछ सोचकर ही इस बाबत अभी तक कोई आदेश नहीं जारी किया है। लेकिन, संघ, भाजपा और विश्व हिंदू परिषद ने बरेली के जिलाधिकारी के खिलाफ बाकायदा मोार्चाा ही खोल दिया है।

योगी सरकार के तेजतर्रार उप मुख्य मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने तो इस मामले में पहले ही बहुत कडा रुख अपना चुके हैं। लेकिन, इसके बावजूद, बरेली के जिलाधिकारी का अभी तक बालबांका न होने से संघ और विश्व हिंदू परिषद भी मैदान में कूद पडे हैं।

इस संबंध में राष्ट्रीय स्वयं सेवक सघ के अवध प्रांत के संघचालक प्रभुनाराायण ने कहा है कि बरेली के जिलाधिकारी की सेवानिवृत्ति भी अब कुछ ही समय शेष रह गया है। इस स्थिति में उनके पूरे कार्यकाल की जांच करायी जानी चाहिये।

विश्व हिंदू परिषद के अवध प्रांत के प्रवक्ता शरद शर्मा का कहना है कि मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कारगर कार्रवाई करें। इनकी दलील है कि जब काश्मीर में हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाये जाते हैं, तब बरेली के जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह कोई भी टिप्पणी नहीं करते हैं। लेकिन, जब पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लग गये तो उन्हें दर्द होने लगा। इन्होंने इस जिलाधिकारी से सवाल किया है कि वह बताये कि वह पाकिस्तान के पक्ष में हैं अथवा हिंदुस्तान के पक्ष में हैं?

यह तो तय है कि इस प्रकरण को संघ के शीर्ष ने भी बडी गंभीरता से लिये है अन्यथा उनकी प्रादेशिक इकाई के पदाधिकारी इस मामले में इतना खुलकर सामने आ ही नहीं सकते थे। इसके अलावा, सोशल मीडिया में भी बरेली के जिलाधिकारी के इस विवादित बेबाक को लेकर आलोचना हो रही है। आम लोगों में भी अब यह सवाल उठाया जा रहा है कि योगी सरकार में किसी अधिकारी का ठाकुर होना उसके लिये बरदान साबित हो रहा है। इसी के चलते महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर भारी संख्या में चुन चुन कर इसी बिरादरी के लोगों को बैठाया गया है।

राघवेन्द्र विक्रम सिंह जिलाधिकारी बरेली 

पता चला है कि राघवेंद्र सिंह मूलतः उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला के निवासी है। इनकी प्राइमरी तक की शिक्षा गांव में ही हुई है। इसके बाद यह गोरखपुर के एक कारखाने में काम कर रहे अपने पिता के पास चले गये। यहीं से उन्होंने एम.ए. किया है। मुमकिन है कि इस बीच इनके तार किसी न किसी रूप में तत्कालीन सोसद योगी आदित्य नाथ से जुड गये हों। यदि ऐसा न भी हुआ हो, तो जन्म से ठाकुर तो यह हें ही। यही क्या कम है।

पता चला है कि इस मामले की जांच बरेली मंडल के आयुक्त को दी गयी है। आज शाम तक वह अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप सकते हैं। देखना है उक्त जांच रिपोर्ट में क्या कहा गया है और उसके आधार पर मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ का क्या फैसला होता है।