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यूपी विधानसभा में मिला सफेद पाउडर था विस्फोटक, सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुलाई बैठक

लखनऊ। यूपी विधानसभा की सुरक्षा में चूक का बड़ा मामला सामने आया है. दो दिन पहले 12 जुलाई की सुबह यूपी विधानसभा के अंदर विस्फोटक मिलने का खुलासा हुआ है. फौरेंसिक जांच मे विस्फोटक मिलने की पुष्टि हुई है, हालांकि डेटोनेटर नहीं मिला है.  यह विस्फोटक 50 से 60 ग्राम की मात्रा में मिला है.

समाजवादी पार्टी के विधायक की सीट के नीचे मिला विस्फोटक

डेटोनेटर होने के बाद ही ये बम का रूप ले लेता है. सुबह साढ़े दस बजे सीएम योगी ने सुरक्षा को लेकर बैठक बुलाई है.  12 जुलाई की सुबह यूपी विधानसभा के अंदर विस्फोटक मिला. ये उस जगह पर रखा था जहां तमाम पार्टियों के विधायक बैठते हैं. ये विस्फोटक समाजवादी पार्टी के विधायक मनोज पांडे की सीट के नीचे मिला है. मनोज ने सीएम योगी से विधानसभा की सुरक्षा और कड़ी करने की मांग की है.

 PETN है इस विस्फोटक का नाम

इस विस्फोटक का नाम PETN बताया जा रहा है. एफएसएल की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है. बड़ा सवाल यह है कि यह विस्फोटक अंदर कैसे पहुंचा? विधानसभा के अंदर घुसने से पहले कई सुरक्षा घेरों की तरफ से की गई जांच से गुजरना पड़ता है. विस्फोटक मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने आस पास के इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी है.

 

सीसीटीवी से भी नहीं मिला कोई सुराग

विधानसभा के अंदर लगे सभी सीसीटीवी कैमरों से भी ऐसा कोई सुराग नहीं मिला है जिससे पता चल सके कि ये विस्फोटक विधानसभा भवन के अंदर कौन लाया था.  बताया जा रहा है कि विधानसभा के अंदर ये विस्फोटक नीले रंग की पॉलीथीन में रखा गया था. भवन की सभी सीसीटीवी फूटेज की जांच की जा चुकी है.

विपक्ष ने साधा योगी पर निशाना

विस्फोटक मिलने के बाद अब इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस के नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा है कि अगर विधानसभा के अंदर ही सुरक्षा नहीं है तो आम जनता के लिए सुरक्षा क्या होगी. उन्होंने सरकार से कड़ाई से सुरक्षा कराने की मांग की है.

क्या है पीईटीएन?

पीईटीएन बहुत शक्तिशाली प्लास्टिक विस्फोटक होता है. यह गंधहीन होता है इसलिए इसे पकड़ने में काफी मुश्किल आती हैं. खोजी कुत्ते और मेटल डिटेक्टर भी इसका पता नहीं लगा सकते. बहुत कम मात्रा में होने पर भी पीईटीएन से बड़ा धमाका हो सकता है. इसका सेना और खनन उघोग में भी इस्तेमाल किया जाता है. वह भी विशिष्ट और खास तरह के मामलों में ही पीईटीएन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे हालात में विधानसभा तक पीईटीएन पहुंचना एक बड़ा सवाल है.

बड़ी बात यह है कि यह कोई मेटल यानी धातु नहीं होता इसलिए एक्स-रे मशीन भी इसे नहीं पकड़ पाती. यह एक रासायनिक पदार्थ होता है.  साल 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए धमाके में भी पीईटीएन का इस्तेमाल किया गया था.