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यूपी में CM अखिलेश ने जब प्रतीक पर झपट्टा मारा तो मुलायम ने उनके ही क़तर दिए पर

pd logलखनऊ। यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने जैसे ही अपने भाई के चहेते मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर झपट्टा मारा उनके ही पर क़तर दिए उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने. समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह ने मंगलवार को अखिलेश यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाते हुए सूबे की कमान शिवपाल यादव को सौंप दी है. समझा जाता है कि यूपी के दो मंत्रियों के बर्खास्त करने और मुख्य सचिव को दो महीने के भीतर हटाये जाने को लेकर मुलायम ने यह कदम उठाया है.

सूत्रों के मुताबिक सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ‘ नेताजी’ अखिलेश यादव द्वारा दो दिन पहले कि गयी सरकार के दो मंत्रियों कि बर्खास्तगी कि कार्रवाई से सन्तुष्ट नहीं हैं. बताया जाता है कि वह एक तरफ अपने बड़े बेटे अखिलेश को समझते हैं तो दूसरी तरफ उनके छोटे बेटे प्रतीक यादव खफा हो जाते हैं. जिसके चलते वह अब अपने बुढ़ापे के साथ अपने बेटों के बीच पड़ी दरारों को समाप्त करना चाहते हैं, लेकिन सरकार की बदनामी के चलते अखिलेश अपने भाई की काट का नया रास्ता खोज ही निकालते हैं.

सूत्रों के मुताबिक पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पद पर तैनात किये गए अधिकारी सतेंद्र कुमार को प्रतीक यादव की सिफारिश पर ही नेताजी के कहने पर तैनात किया गया था. लेकिन आवास विभाग सीएम के पास होने के कारण उनके कारनामों को लेकर रोजाना बदनामी अखिलेश और उनकी सरकार की हो रही थी. बावजूद इसके अखिलेश वहां कुछ हस्तक्षेप नहीं कर पा रहे थे. किसी तरह अखिलेश ने पिताजी से कहकर उनको LDA से हटवाया और उनकी तैनाती लखनऊ में ही डीएम पद पर करनी पड़ी.

मगर यह मामला यहीं शांत नहीं हुआ. पिताजी कि पार्टी की सरकार और बड़े भाई अखिलेश यादव सीएम, लेकिन न ही उन्हें राजनीति में कोई बड़ा ओहदा दिया गया और न ही पार्टी में कोई स्थान मिला. अब बराबरी का दर्ज तो उसे भी लेना था. नतीजतन प्रतीक ने गायत्री से सेटिंग करके उनसे पैसा कमाया और फिर बिल्डर संजय सेठ के साथ मिलकर साझेदारी में काम शुरू कर दिया. यही नहीं प्रतीक के कहने पर ही मुलायम सिंह यादव ने उनका नाम अपनी पार्टी से राज्यसभा के लिए भेजा था.

सूत्रों के मुताबिक यह बात अखिलेश को पसन्द नहीं आयी,लेकिन वह अपने पिता के आगे बेबस थे. लेकिन मौका मिलते ही अखिलेश ने गायत्री प्रसाद को ही नहीं बल्कि सरकार के दूसरे मंत्री राज किशोर को भी पार्टी से बर्खास्त कर दिया. ताकि उन पर पक्षपात करने की तोहमत न लगे. लेकिन जैसे ही नेताजी को इस बात की जानकारी मिली वह आग बाबुल हो उठे और यहां तक पत्रकारों से भी उन्होंने यह कह दिया कि अखिलेश ने उनसे बिना पूछे यह कदम उठा लिया है.

फिलहाल मुलायम सिंह उन मंत्रियों को तो बहाल नहीं कर सके किन्तु उन्होंने अखिलेश के जरूर पर क़तर दिए. बताया जाता है कि मामला इतना अधिक गरमा गया था की अखिलेश को अपनी मां साधना गुप्ता के पसंदीदा अफसर राहुल भटनागर को यूपी का मुख्य सचिव बनाना पड़ा. यही नहीं अखिलेश को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाते हुए मुलायम सिंह ने इस पद की कमान शिवपाल सिंह के हाथों में सौंप दी.