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यूपी में 24 रियल एस्टेट कंपनियों पर गिर सकती है श्रम विभाग की गाज, बकाया है 100 करोड़

लखनऊ। नोएडा और ग्रेटर नोएडा की 24 रियल एस्टेट कंपनियों पर करीब 100 करोड़ रुपये का श्रम उपकर (लेबर सेस) बकाया है, जिसे जिला प्रशासन वसूल करने की तैयारी कर रहा है। उप श्रमायुक्त की ओर से रिकवरी सर्टिफिकेट जिला प्रशासन को भेज दिए गए हैं। वहीं आम्रपाली ग्रुप के अधिकारियों पर हुई कार्रवाई से रियल एस्टेट कंपनियों में खलबली मची हुई है।

श्रम विभाग ने की उपकर की मांग

श्रम विभाग कंपनियों से लगातार उपकर की मांग कर रहा है। कंपनियां अपनी खराब आर्थिक हालत का हवाला देकर टाल रही हैं। जिला प्रशासन की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 24 बिल्डरों पर करीब 100 करोड़ रुपये बकाया हैं। इन्हें कई-कई बार नोटिस जारी किए जा चुके हैं। अब श्रम विभाग ने उपकर की वसूली करने के लिए जिला प्रशासन को मामले स्थानांतरित कर दिए हैं। क्या है श्रम उपकर निर्माण योजनाओं में लगे श्रमिकों का कल्याण करने के लिए प्रदेश सरकार ने श्रम उपकर लगाया था। योजना में निर्माण की लागत पर दो प्रतिशत उपकर लगाया है। यह धनराशि श्रमिकों के उपचार, बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च की जाती है। नोएडा और ग्रेटर में यह उपकर कंपनियों के साथ सेक्टरों में आवासीय भूखंडों पर भी लागू होता है। गौतमबुद्ध नगर प्रदेश में सर्वाधिक श्रम उपकर सरकार को देता है।

आम्रपाली समूह ने जमा किये 4.29 करोड़ रुपये

मंगलवार शाम आम्रपाली समूह ने श्रम उपकर के बकाया 4.29 करोड़ रुपये दादरी तहसील में जमा कर दिए हैं। उसके बाद कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और निदेशक को हवालात से रिहा कर दिया गया है। दादरी के एसडीएम अमित कुमार सिंह ने बताया कि आम्रपाली के अधिकारी पहले पार्ट पेयमेंट करने और बाकी भुगतान के लिए शपथ पत्र देने की बात कर रहे थे, लेकिन उन्हें साफ कहा गया कि पूरी धनराशि का एकमुश्त भुगतान करना होगा। इसके बाद कंपनी की ओर से 4.29 करोड़ रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जमा किया गया। शाम करीब पांच बजे सीईओ ऋतिक सिन्हा और निशांत मुकुल को रिहा कर दिया गया है।