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यूपी में डीएम का रेट बताने वाले आईएएस अशोक कुमार सस्पेंड

IAS_bastiलखनऊ/बस्ती। यूपी के सचिव राष्ट्रीय एकीकरण अशोक कुमार ने यह कहकर शासन में खलबली मचा दी कि सूबे में कलेक्टर बनने के लिए घूस मांगी जाती है। उन्होंने कहा-‘यहां तो 70 लाख रुपये डीएम का रेट है। मेरे पास तो था नहीं, इसीलिए डीएम नहीं बनाया। कमिश्नर बनना नहीं चाहता।’ सरकार ने अशोक कुमार के इस बयान को बेहद गंभीरता से लेते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया।

अशोक कुमार 1999 बैच के आईएएस अफसर हैं। उनके पास बस्ती जिले के नोडल अधिकारी का भी प्रभार है। वह सरकार की विकास योजनाओं की हकीकत परखने दो दिन के लिए बस्ती गए थे। शुक्रवार को वे बस्ती के डाक बंगले में खबरनवीसों से बात कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने विकास खंड बहादुरपुर के प्रभारी एडीओ ओर ग्राम पंचायत अधिकारी आनंद कुमार सिंह को निलंबित करने का आदेश जारी होने की जानकारी दी।

IAS का खुलासा – ” DM बनना हैं 70 लाख जेब में रख लो”

तभी एक पत्रकार ने कहा कि जिसे निलंबित करने का आदेश दिया है, वह 70 हजार रुपये खर्च करके एडीओ का प्रभार पाया था। इस पर उन्होंने हंसते हुए कहा- प्रदेश में लोग 70 लाख रुपये देकर डीएम बनते हैं। हालांकि उन्होंने इस बयान को खबर में न लिखने की बात कही। पर बातचीत का वीडियो वायरल हो गया।

इसके बाद शासन ने प्रभारी कमिश्नर एवं डीएम नरेंद्र सिंह पटेल से इस मामले में रिपोर्ट तलब की। रिपोर्ट मिलते ही अशोक कुमार को निलंबित कर दिया गया।

पीसीएस से आईएएस प्रमोट हुए कई अफसर जिलाधिकारी बने। मगर, अशोक कुमार एक भी जिले के डीएम नहीं बन पाए और सचिव व कमिश्नर स्तर पर आ गए। यही नहीं राष्ट्रीय एकीकरण विभाग अफसरशाही में सबसे कम महत्व के महकमों में गिना जाता है। विशेष सचिव से सचिव के पद पर पदोन्नत होने के कुछ दिनों बाद से ही कुमार इसी महकमे में बतौर सचिव काम देख रहे थे। कुमार से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ था। घर पर संपर्क करने पर बताया गया कि वे बाहर हैं।

पहले भी सरकार की फजीहत का सबब बनते रहे अफसर
यह पहला मौका नहीं है जब प्रशासनिक अफसरों की बयानबाजी से प्रदेश सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद राहत शिविर में ठंडक से बच्चों की मौत पर तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह अनिल कुमार गुप्ता ने कहा था- ठंड से कोई नहीं मरता, अगर ठंड से कोई मरता तो साइबेरिया में कोई जिंदा न बचता। इस टिप्पणी के चलते सरकार को गुप्ता को हटाना पड़ा था।

विशेष सचिव राजस्व रहे जी. श्री निवास लू को आपदा राहत की ब्रीफिंग के दौरान एक टिप्पणी को आपत्तिजनक मानते हुए निलंबित कर दिया था। आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर भी सरकार के लिए कई बार असहज स्थिति पैदा कर चुके हैं। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने अपनी नौकरी के अंतिम दिनों में सरकार की खुलकर आलोचना की। मगर कई बार संकेत देने के बावजूद सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही कर पाई।