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यहां तो प्रिंसिपल के अलर्ट पर थम रही थी नकल

nakalलखनऊ। तमाम दावों के बावजूद यूपी बोर्ड एग्जाम अव्यवस्था के बीच ही शुरू हुए। कई स्कूलों में क्षमता से अधिक स्टूडेंट्स का सेंटर डाल दिया गया। वहीं, लाइट, कमरों और जगह पर्याप्त न होने के बावजूद कई स्कूलों को इस बार भी केंद्र बना दिया गया है। वहीं कई स्कूलों में बाहरी कक्ष निरीक्षक न पहुंचने के चलते अपने ही शिक्षकों की मदद से एग्जाम कराया गया।

शिक्षा भवन के ठीक सामने तालीम गाह-ए-निस्वां इंटर कॉलेज में दूसरी पाली में 14 कमरों में 360 स्टूडेंट्स पास-पास बैठे पेपर दे रहे थे। कॉलेज गेट पर लगे कैमरे की मॉनिटरिंग खुद प्रिंसिपल तबस्सुम किदवई कर रहीं थीं और किसी को आता देख माइक पर सूचना दे रही थीं।

कॉलेज में बाहर के 9 कक्ष निरीक्षक तैनात किए गए थे, जबकि 28 टीचर स्कूल के ही थे। खुद प्रिंसिपल ने बताया कि सुबह की पाली में हाईस्कूल की 800 छात्राओं ने 14 कमरों में एग्जाम दिया था।

वहीं चौक स्थित कालीचरण इंटर कॉलेज में स्टूडेंट्स अंधेरे कमरे में एग्जाम दे रहे थे। इस बारे में पूछने पर प्रिंसिपल महेंद्र नाथ राय का जवाब था कि छात्र ही लाइट पंखा तोड़ देते हैं। वहीं, रुम नंबर 13 में एक कक्ष निरीक्षक सोती मिलीं। किसी के आने की आहट पर हड़बड़ाकर उठ गईं। वहीं पहले फ्लोर पर क्लास में स्टूडेंट्स पास-पास बैठकर पेपर देते हुए मिले।

म्यूनिसिपल गर्ल्स इंटर कॉलेज कश्मीरी मोहल्ला में दूसरी पाली में 413 छात्राएं 12 कमरों में करीब-करीब बैठी थीं। यहां भी प्रिंसिपल ने सीसीटीवी कैमरों की निगरानी अपने हाथ में ले रखी थी। प्रवेश द्वार से किसी के प्रवेश के साथ ही वह इसकी सूचना भीतर पहुंचा देती थीं। कॉलेज में 23 कक्ष निरीक्षकों की ड्यूटी लगी थी इनमें से 4 कक्ष निरीक्षक अनुपस्थित थे। यहां ड्यूटी पर तैनात कुल 40 में से सिर्फ 12 कक्ष निरीक्षक ही बाहर से शामिल हुए।

चौक चौराहा से आधा किलोमीटर अंदर संकरी गली में स्थित खुनखुनजी गर्ल्स इंटर कॉलेज को भी परीक्षा केंद्र बनाया गया है। यहां की गलियां इतनी संकरी हैं कि दो पहिया तक जाना आसान नहीं। ऐसे में सचल दस्ते का अचानक निरीक्षण करना लगभग नामुमकिन ही है।

एग्जाम सेंटर होने के चलते स्कूल के बाहर धारा 144 लागू है। बावजूद इसके स्कूल के बाहर कई लड़के जमा थे। इतना ही नहीं दूसरी पाली में 347 छात्राएं 11 कमरों में बैठी थीं। साथ ही यहां 26 कक्ष निरीक्षकों की ड्यूटी भी लगाई गई थी, जबकि उनमें से महज तीन उपस्थित मिले। ऐसे में कॉलेज के ही 17 शिक्षकों की ड्यूटी लगानी पड़ी थी।