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मैं ‘आंबेडकर भक्त’, आरक्षण पर खरोंच नहीं आने दूंगाः मोदी

arakshanनई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर नैशनल मेमोरियल के शिलान्यास के मौके पर खुद को बाबा साहेब का भक्त बताते हुए कहा कि उनकी सरकार आरक्षण पर खरोंच तक न आने देगी। उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा। बाबा साहेब को ‘विश्व मानव’ बताते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की योजनाएं आंबेडकर की सोच पर आधारित हैं। मोदी ने कहा कि सरदार पटेल ने देश को जोड़ा, तो अंबडेकर ने समाज को।

शिलान्यास के दिन ऐलान की उद्घाटन की तारीख
पीएम मोदी ने डॉ. भीमराव आंबेडकर नैशनल मेमोरियल के शिलान्यास के मौके पर उसके उद्घाटन की तारीख का ऐलान कर खूब तालियां बटोरीं। उन्होंने कहा कि वह 14 अप्रैल 2018 को इस मेमोरियल का उद्घाटन करेंगे।

‘हम जीभ कटने पर दांत नहीं तोड़ते’
दांतों के बीच हमारी जीभ कट जाती है। लेकिन हम दांत तोड़ नहीं देते हैं। क्योंकि हमें पता हैं, दांत भी मेरी है। जीभ भी मेरी है। बाबा साहेब के लिए भी सवर्ण और दलित बराबर थे।

‘कुछ लोगों को हमें देखकर बुखार आ जाता है’
हम लोग वे हैं, जिन्हें कुछ लोग पंसद ही नहीं करते। हमें देखना तक नहीं चाहते। उनको बुखार आ जाता है। और बुखार में आदमी कुछ भी बोल देता है। बुखार में वह मन का आपा भी खो देता है। इसलिए असत्य झूठ, अनाप-शानात बातों को प्रचारित करता है।


कुछ ऐसा होगा आंबेडकर नैशनल मेमोरियल

‘आरक्षण पर खरोंच तक नहीं आने देंगे’
मुझे याद है, जब वाजपेयी की सरकार बनी तो काफी हल्ला मचा कि बीजेपी आरक्षण खत्म कर देगी। वाजपेयी जी की सराकर दो टर्म रही, लेकिन आरक्षण पर खरोंच तक नहीं आने दी गई थी, फिर भी झूठ चलाया गया। अब फिर झूठ चलाया जा रहा है। ऐसा राजनीतिक से प्रेरित होकर किया जा रहा है।

‘पटेल ने देश और आंबेडर ने समाज को जोड़ा’
इतिहास के झरोखे से मैं देखूं तो दो महापुरुषों को विशेष रूप से देखना चाहूंगा। एक सरदार पटेल और एक बाबा साहेब आंबेडकर। आजादी के वक्त देश बिखरा हुआ था। पटेल ही थे जिन्होंने राष्ट्र की एकता के लिए सभी राजे-रजवाड़ों को अपने कौशल और राजनीतिक इच्छाशक्ति से भारत का निर्माण किया। उसी तरह सामाजिक बिखराव को आंबेडकर ने दूर किया। उन्होंने सामाजिक एकीकरण का काम किया।

‘महिलाओं के हक लिए बाबा साहेब ने छोड़ी सरकार’
बाबा साहब को मंत्री परिषद से इस्तीफा देने की नौबत क्यों आई। हिंदू कोड बिल पर बाबा साहेब की अध्यक्षता में काम चल रहा था। शुरू में सभी ने उनका साथ दिया, लेकिन संसद में ले जाने की नौबत आई तो सरकार पीछे हट गए। महिलाओं को परिवार में समान अधिकार देने की प्रोग्रेसिव सोच से सरकार डर गई। सरकार दब गई। उन्होंने इस पर सराकर छोड़ दी थी।

लेबर लॉ के पीछे आंबेडर की सोच
पहले 12-14 घंटे मजदूर काम करते थे, बाबा साहेब ने इस आठ घंटे तक सीमित किया। आज भी हिंदुस्तान में लेबल लॉ की मुख्य नींव बाबा साहेब आंबेडकर ने रखी है।

‘आंबेडकर के फैसले आज भी प्रासंगिक’
हिंदुस्तान के 50 प्रमुख नेताओं को ले लीजिए, जिन्हें देश केलिए फैसले लेने का वक्त मिला। पूरी 20वीं शताब्दी में जो फैसले देश पर प्रभावी रहे, उसमें आंबेडकर के फैसले नंबर वन पर रहेंगे। उनके निर्णय आज भी प्रासंगिक हैं।

‘मैं आंबेडकर का भक्त’
हम वॉटर-वे के जरिए ट्रांसपोर्ट को बढावा देने के लिए संसद में एक बिल लाए। यह मूल विचार बाबा साहब का था। उन्होंने उस समय भारत के वॉटर-वे की ताकत को पहचाना था। उन्हें काम करने का और मौका मिला होता, तो वह 60 साल पहले इसे कर चुके होते। लेकिन हमारी सरकार उनके कदमों पर आगे बढ़ रही है। बाबा साहब का कोई भक्त सरकार में आता है, तो काम आगे बढ़ते हैं।