जर्मनी। अनीता बोस, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी हैं। वो जर्मनी में रहती हैं और 73 साल की हैं। वो मानती हैं कि उनके पिता की मौत हवाई हादसे में ही हो गई थी। हालांकि वो जापान के मंदिर में रखी अपने पिता की अस्थियों के डीएनए टेस्ट की इच्छा रखती हैं। अनीता बोस ने हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ जो बातचीत की उसके कुछ अंश यहां पेश हैं।
प्रसून सोनवलकर के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा,”अगर मेरे पिता जीवित होते तो वो अपने वक्त की राजनीति में हिस्सा लेते। वो नेहरू का विकल्प हो सकते थे।
उन्होंने कहा कि बेशक हम ये मान लेते हैं कि कुछ मुद्दों पर उन दोनों के विचार एक जैसे थे। दोनों ही मानते थे कि राजनीति को धर्म से अलग रखा जाना चाहिए।
अनीता बोस ने कहा कि दोनों ही आधुनिक विचार वाले थे और औद्योगीकरण के पक्षधर थे। लेकिन दूसरी ओर दोनों में काफी असमानताएं भी थीं। जैसे पाकिस्तान को लेकर दोनों का रुख अलग होता।
उन्होंने कहा,” विभाजन के बाद जो हुआ वो कोई नहीं चाहता था। दोनों देशों के दिलों पर जो घाव हुए उनका भरना तो मुश्किल था लेकिन मेरे पिता का रुख पाकिस्तान पर अलग होता।”
बोस ने कहा कि अगर मेरे पिता विभाजन को रोक नहीं पाते तो उसके साथ बेहतर संबंधों की कोशिश करते। आजादी के बाद से भारत जिस तरह की समस्याओं का सामना कर रहा है, शायद उनमें थोड़ी कमी आती।
उन्होंने कहा कि बहुत से लोग मूर्खतापूर्ण थ्योरी पर बात करते हैं कि नेताजी 1945 में ताईपेई में हुए विमान हादसे के बाद जीवित थे और गुमनामी बाबा बनकर पहाड़ों पर रहे। उपलब्ध साक्ष्यों के मुताबिक वे इस बात से सहमत हैं कि नेताजी का 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में निधन हो गया। उन्होंने कहा कि जापान के रनकोजी मंदिर में रखे गए अवशेषों का डीएनए टेस्ट कराया जाए।
वे कहती हैं, नेताजी का निधन विमान हादसे में हुआ यह सबसे ज्यादा माना जाने वाला तथ्य है। हालांकि मैं दूसरी थ्योरी पर भी जा सकती हूं पर उसके समर्थन में साक्ष्य होने चाहिए। मैंने अभी तक सहमत होने लायक साक्ष्य नहीं देखे हैं।