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मुंबई की पहली टेस्ट-ट्यूब बेबी बनी मां

test-tubeमुंबई। 6 अगस्त 1986 को जन्मी मुंबई की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी, हर्षा चावड़ा शाह ने सोमवार को बच्चे को जन्म दिया। हर्षा के बच्चे को भी आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. इंदिरा हिंदूजा और डॉक्टरों की उसी टीम ने जन्म दिया है, जिन्होंने 30 साल पहले हर्षा को जन्म दिलाया था।

भारत में आईवीएफ तकनीक की प्रणेताओं में से एक मानी जाने वाली और मुंबई को हर्षा के रूप में पहला टेस्ट ट्यूब बेबी देने वाली डॉ. इंदिरा हिंदूजा ने बताया कि हर्षा ने 3.18 किलो के बच्चे को जन्म दिया है, मां और बच्चा दोनों सेहतमंद हैं। पिछले साल ही हर्षा से परिणय सूत्र में बंधे उनके पति दिव्यपाल शाह का कहना है, ‘मैं बहुत ही खुश हूं। जल्द ही पत्नी और बच्चे को घर ले जाऊंगा।’

डॉक्टरों की टीम का हिस्सा रहीं डॉ. कुसुम झवेरी बताती हैं कि जन्म से अभी तक हर्षा हमेशा हमारे संपर्क में रही है और इसीलिए यह बहुत ही सामान्य था कि वह अपने बच्चे की डिलिवरी के लिए भी हमसे ही संपर्क करे। डॉ. हिंदूजा ने बताया, ‘हर्षा को प्रेग्नेंसी में कोई तकलीफ नहीं हुई। ऐसे कहीं भी साक्ष्य नहीं हैं कि टेस्ट ट्यूब बेबी को भविष्य में गर्भाधान में कोई समस्या होती है।’

अब तक 15,000 टेस्ट ट्यूब बेबी
मुंबई की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी हर्षा के बाद अब तक 15 हजार से ज्यादा टेस्ट ट्यूब बेबी हो चुके हैं। डॉ. हिंदूजा ने बताया, ‘मुझे आज भी 30 साल पुराना वह दिन याद है, जब बीएमसी के केईएम अस्पताल में शाम 4.10 बजे हर्षा का जन्म हुआ था। हर्षा की मां मनीबेन को टीबी हुई था, जिससे उनकी फेलोपेन ट्यूब हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो गई थी। तब उन्होंने आईवीएफ के जरिए हर्षा को जन्म दिया था।’

क्या है आईवीएफ
इन व्रिटो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक में महिलाओं को कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है। इस प्रक्रिया में किसी महिला के अंडाशय से अंडे को बाहर निकाल कर उसका संपर्क शुक्राणुओं से कराकर भ्रूण तैयार किया जाता है, जिसे बाद में महिला के गर्भाशय में स्थापित कर दिया जाता है।