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भारत के सबसे ज्यादा बिकने वाले चावल को GST ने कैसे बना दिया जीरो टैक्स प्रोडक्ट

नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े चावल ब्रांड ‘इंडिया गेट’ को जीएसटी का भुगतान करने से छूट दी गई है क्योंकि कंपनी को ट्रेड मार्क एक्ट 1999 के तहत पंजीकृत ब्रांड नाम नहीं मिल पाया। गौरतलब है कि इंडिया गेट, लोटस और यूनिटी ब्रांड पर केआरबीएल लिमिटेड का स्वामित्व है। कंपनी ने ट्रेड मार्क एक्ट 1990 की क्लास 30 के तहत ब्रांड को पंजीकृत नहीं किया हुआ है। जिसके चलते कंपनी को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।

इस बात का खुलासा खुद कंपनी ने किया है। केआरबीएल को इसका सबसे ज्यादा लाभ मिला है क्योंकि कंपनी को अपने चवल पर 5 प्रतिशत जीएसटी नहीं चुकाना पड़ेगा। इसका फायदा केआरबीएल को यह होगा कि उसकी कीमतें अपने अन्य प्रतिवंदियों के मुकाबले बेहद कम हो जाएगी।

भारतीय चावल बाजार में वर्तमान में मैककॉर्मिक जैसे ब्रांड  केआरबीएल के विरोधी हैं। प्रतिस्पर्धी कंपनियों का कहना है कि कंपनी ने जीएसटी में छूट पाने के लिए इसे गलत तरीके से परिभाषित किया है।

वित्त मंत्रालय के अनुसार  ‘जब तक कोई सामान ब्रैंड या ट्रेड नेम ट्रेडमार्क्स रजिस्टर पर नहीं होगा ओर ट्रेड मार्क्स ऐक्ट 1999 के तहत नहीं आएगा, तब तक उसकी सप्लाई पर ढाई पर्सेंट सीजीएसटी यानी सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नहीं लगेगा।’

चावल व्यापारियों का विरोध 

चावल के व्यापारियों और निर्यातकों की सस्था ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईईआरए) ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को लिखा है कि मौजूदा चावल के ब्रांडों 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने पर फिर से विचार किया जाए।

मौजूदा मानदंडों के तहत, चावल, गेहूं और अनाज जैसे स्टेपल पर जीएसटी शून्य है। लेकिन ट्रेडमार्क पंजीकरण वाले ब्रांड पर 5% जीएसटी लगेगा।