न्यूयार्क। वैज्ञानिकों का मानना है कि मनुष्यों में यह विशिष्ट क्षमता होती है कि वह किसी विचार या वस्तु को पहले से देखे बिना उसके बारे में कल्पना कर सकता है। मनुष्य की इस क्षमता के पीछे क्या दिमागी प्रक्रिया होती, इसके बारे में काफी कम जानते हैं? बोस्टन विश्वविद्यालय के एंड्रे वेशेडस्की ने अपने शोध के माध्यम से कल्पना की प्रक्रिया के बारे में बताया है।
उनका कहना है कि किसी भी चीज की कल्पना करने की प्रक्रिया को मेंटल सिंथेसिस भी कहा जा सकता है। दरअसल दिमाग पहले से प्राप्त तस्वीरों, दृश्यों और संकल्पनाओं आदि को मिलाजुलाकर कुछ गढ़ता है, और उसे ही हम कल्पना मानते हैं। प्रयोग के दौरान उन्होंने पाया कि कल्पना करने के दौरान दो अलग-अलग अनुभूतियों या दृश्यों से जुड़े न्यूरॉन एक साथ सक्रिय हो जाते हैं। यह शोध रिसर्च आइडिया एंड आउटकम जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
एंड्रे वेशेडस्की का मानना है कि शोध करने वाले आम तौर पर एक मरीज में प्रायः कई बातों से जुड़े न्यूरॉन्स की पहचान कर लेते हैं। इस तर्ज पर ही कई संदर्भों से जुड़े न्यूरॉन्स को अलग-अलग समूहों में मिलाकर स्टडी किया जा सकता है। इसके साथ-साथ एक मानसिक स्थिति में दो या दो से ज्यादा वस्तुओं के आकार बदलने की भी जांच की जा सकती है।